पीयूष पांडेय/बड़बिल (ओड़िशा)। ओड़िशा में आवारा कुत्तों की नसबंदी पर लगी रोक को उड़ीसा उच्च न्यायालय ने बीते 8 जनवरी को हटा दिया। जिससे राज्य में आवारा कुत्तों की नसबंदी प्रक्रिया फिर से शुरू होने का रास्ता साफ हो गया।
जानकारी के अनुसार यह घटनाक्रम तब हुआ जब ओडिशा सरकार ने अदालत में एक हलफनामा दाखिल किया। जिसमें कहा गया कि आवारा कुत्तों की नसबंदी को विनियमित करने के लिए पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) के लिए राज्य स्तरीय निगरानी और कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है।
गौरतलब है कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों को पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम (एबीसी) के लिए राज्य स्तरीय निगरानी समिति गठित करने का निर्देश जारी किया था। एबीसी में रेबीज को रोकने के लिए आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए नसबंदी और एंटी-रेबीज टीकाकरण की प्रक्रिया शामिल है।
सामाजिक कार्यकर्ता विश्वजीत प्रधान ने उड़ीसा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ओडिशा सरकार बिना समिति के कुत्तों की नसबंदी कर रही है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने 6 जुलाई 2023 को भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) के पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) कार्यक्रम सहित नसबंदी अभियान पर रोक लगा दी थी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक कुत्तों के प्रजनन का मौसम शुरू होने के साथ ही भुवनेश्वर में कुत्तों के काटने की घटनाएं कम से कम 50 फीसदी बढ़ गई हैं। हालाँकि, स्थगन आदेश हटने के साथ हीं सरकार को नसबंदी अभियान फिर से शुरू करने और आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रण में रखने की उम्मीद है।
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