रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण संस्थान द्वारा आयोजित गरगा बचाओ संकल्प यात्रा का शुभारंभ दूसरे दिन बोकारो के बालीडीह स्थित गरगा डैम से सुबह 11.00 बजे किया गया।
दूसरे दिन की इस यात्रा के प्रभारी गौरी शंकर सिंह तथा संयोजक संस्थान के अध्यक्ष सुरेंद्र पांडेय बनाए गए थे। यह यात्रा गरगा डैम से शुरू होकर नदी के किनारे किनारे होते हुए बनसीमली पूल, सिवनडीह, बारी कोऑपरेटिव, बाघरायबेड़ा, सेक्टर 12 स्थित ओक्सीडेशन पौंड, तेलीडीह, सूर्य चौक, चास के मुख्य गरगा पूल के पास, भोजपुर कॉलोनी, भर्रा, पंडेयपुल, चिराचास होते हुए दामोदर में नदी के संगम तक जाकर समाप्त हुई।
जगह जगह गरगा नदी में प्रदूषण और अतिक्रमण के कारण उत्पन्न समस्याओं का अध्ययन किया गया। इस अवसर पर कहा गया कि गरगा डैम से निकलकर जैसे ही नदी सिवनडीह पहुंचती है, नदी में प्रदूषण और अतिक्रमण की समस्या प्रारंभ हो जाती है तथा इस नदी के किनारे बसे मुहल्लों के नालों का गंदा पानी नदी में लगातार प्रवाहित हो रहा है।
कहा गया कि सेक्टर 12 में बने ओक्सीडेशन पौंड से होकर मल, मूत्र का दुर्गंधयुक्त गंदा पानी नदी में अनवरत प्रवाहित हो रहा है। साथ ही चास नगर निगम क्षेत्र की भी दर्जनों गंदी नालियां प्रवाहित होकर नदी में प्रदूषण को बढ़ा रही हैं। कई जगह बड़े बड़े मकान और अपार्टमेंट भी नदी की जमीन पर ही बना लिए गए हैं।
कहा गया कि इस नदी को अतिक्रमित करने में चास अंचल कार्यालय का भी बहुत बड़ा हाथ है। यह नदी प्रदूषण और अतिक्रमण से मर रही है, फिर भी बोकारो जिला प्रशासन और सरकार से बार-बार आग्रह करने पर भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है।
इस अवसर पर संस्थान के महासचिव शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’ ने कहा की कई वर्षों से नदी को अतिक्रमण और प्रदूषण से मुक्त करने हेतु अनेक कार्यक्रमों को आयोजित कर आम रहिवासियों को जागृत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास और संघर्ष तबतक जारी रहेगा जबतक यह नदी प्रदूषण मुक्त नहीं हो जाती है।
संस्थान के अध्यक्ष सुरेंद्र पांडेय ने कहा कि गरगा नदी प्रदूषण से मर रही है। इसे बचाने के लिए सबों को जागृत होना होगा। कार्यकारी अध्यक्ष रघुबर प्रसाद ने कहा कि गंदी नालियों को नदी में प्रवाहित करने के पहले जल शोधन संयंत्र लगाकर इसे साफ किया जाय। यात्रा प्रभारी गौरी शंकर सिंह ने कहा की प्रशासन और सरकार सहित आमजन को भी नदी को बचाने के लिए कमर कसनी होगी।
उक्त अभियान में सुरेंद्र पांडेय, रघुबर प्रसाद, अखिलेश ओझा, गणेश साव, शशि भूषण ओझा ‘मुकुल’, शैलेंद्र तिवारी, गौरी शंकर सिंह, पप्पू चौबे, नीरज कुमार, विजय त्रिपाठी, शैलेंद्र झा, दीपक सिंह, अभय कुमार गोलू, आकाश कुमार, गुड्डुल ओझा, शिव कुमार विश्वकर्मा, टिंकू सिंह, सुशील तिवारी, अश्विनी पांडेय, संदीप पांडेय, भगवान पांडेय, धनराज सहित अनेक पर्यावरण रक्षक शामिल थे।
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