रामलीला मंच पर श्रीराम जन्मोत्सव कथा आज
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। कथा व्यास जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी गुप्तेश्वर जी महाराज ने 18 दिसंबर की संध्या श्रीराम कथा के दूसरे दिन सारण जिला के हद में हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला स्थित रामलीला मंच पर शिव चरित और श्रीराम चरित कथा का वर्णन किया।
उन्होंने रामचरित मानस में वर्णित याज्ञवल्क्य भारद्वाज संवाद का विशद रुप से वर्णन किया। उन्होंने रामचरित मानस पुस्तक के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास के प्रिय भजन जाके प्रिय न राम बैदैही, तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही का गायन कर श्रीराम भक्ति रस से श्रोताओं को सराबोर कर दिया। इसपर उपस्थित तमाम श्रोतागण झूम उठे।
सर्वप्रथम स्वामी गुप्तेश्वर महाराज ने याज्ञवल्क्य भारद्वाज संवाद के माध्यम से कथा में प्रवेश कराया। बाबा हरिहरनाथ मंदिर के समीप रामलीला मंच पर श्रीराम कथा प्रतिदिन संध्या 6 से 9 बजे तक किया जा रहा है। उन्होंने बीते 17 दिसंबर की संध्या कथा की महिमा और रामनाम की महिमा सुनायी थी।
बताया कि प्रयाग में माघ मेला के बाद जब सभी मुनि अपने अपने आश्रम जाने लगे तो भरद्वाज ऋषि ने विनय पूर्वक याज्ञवल्क्य जी को रोक लिया और जिज्ञासा प्रकट की कि राम वस्तुतः हैं कौन? यहीं से राम कथा प्रारम्भ होता है। याज्ञवल्क्य जी पहले शिव चरित सुनाते हैं फिर राम चरित सुनाते हैं।
जगद्गुरु आचार्य गुप्तेश्वर महाराज ने कथा आगे बढ़ाते हुए कहा कि एक बार त्रेता युग में भगवान शिव माता सती के साथ कथा सुनने धरती पर कुंभज ऋषि के पास आए। कथा कुंभज ऋषि से सुनकर शिवजी तो आनंद में डूब गए, लेकिन सती जी ने ध्यान से कथा सुनी नहीं। उनमें ईश्वर की लीला से रजोगुण का उत्कर्ष हो गया।
उस समय श्रीराम का अवतार हो चुका था और वे बाल लीला कर रहे थे। पत्नी के विरह में रोते बिलखते भगवान राम को शिव जी ने देखा और दूर से उनको सच्चिदानंद धाम कह कर प्रणाम किया, तो सती को उनके भगवान होने पर ऐसा संदेह हुआ कि शिवजी की बात नहीं मानकर स्वयं परीक्षा लेने गयी और शर्मिदा हुयीं।
शिव ने उनका त्याग किया। फिर अपने पिता के यज्ञ में शिवजी का अपमान देखकर सती ने योगाग्नि में अपना शरीर भस्म कर लिया और पार्वती के रूप में अगले जन्म में हिमाचल के घर मैनाजी के गर्भ से उत्पन होकर कठिन तपस्या कर पुन: शिव को पति के रुप में प्राप्त कर लिया।
सती का मोह भंग शिव विवाह का प्रसंग संगीतमय ढंग से इस तरह प्रस्तुत किया गया कि सारे श्रोता झूम उठे। शिव विवाह के बाद जब पार्वती जी को पिता के घर से विदाई की करुण कथा हो रही थी तो उपस्थित श्रोताओं की आंखों में आंसू आ गये।
आचार्यश्री ने कहा कि 19 दिसंबर को नारद मोह और राम जन्म की कथा होगी। आचार्यश्री ने श्रोताओं से अनुरोध किया कि कल रामजन्म महोत्सव मनाने के लिए श्रोता लाल पीले वस्त्र में अधिक से अधिक संख्या में जुटें। उल्लेखनीय है कि सोनपुर मेला में रामलीला मंच पर पहली बार कल राम जन्मोत्सव मनाया जायेगा।
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