एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखण्ड)। सिटिजन फोरम के तत्वावधान में 17 दिसंबर को झारखंड की राजधानी रांची स्थित प्रेस क्लब में सुपरिचित लेखिका रेणुका तिवारी के उपन्यास अलविदा लाल सलाम का लोकार्पण किया गया। उपन्यास को देश के प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान सामायिक प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।
लोकार्पण समारोह का आरंभ राष्ट्रगान के साथ किया गया। तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत अधिवक्ता सत्येंद्र प्रसाद सिंह ने किया। यहां झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री व भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबू लाल मरांडी समारोह के मुख्य अतिथि थे। समारोह के विशिष्ट अतिथियों में पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अरुण सिंह तथा रांची सिटिजन फोरम के अध्यक्ष दीपेश निराला शामिल थे। प्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर अशोक प्रियदर्शी ने समारोह की अध्यक्षता की।
उपन्यास का लोकार्पण मुख्य अतिथि बाबूलाल मरांडी, विशिष्ट अतिथियों व सिटीजन फोरम अध्यक्ष द्वारा किया गया। इस अवसर पर लेखिका रेणुका तिवारी ने बताया कि यह उपन्यास देश के विभिन्न हिस्सों में पल रहे अतिवादी विचारधारा नक्सलवाद की असलियत और उससे एक नक्सली कमांडर के मोहभंग होने की कहानी है, जो अंततः लोकतंत्र की ताकत को समझता है और मुख्यधारा में वापसी का संकल्प करता है।
उन्होंने कहा कि उपन्यास के नायक करमजोत मुर्मू का नक्सली दुनिया से बाहर आने का द्वंद बेहद मर्मस्पर्शी है जो पाठकों को बेहद पसंद आएगा। मुख्य अतिथि मरांडी ने कहा कि नक्सलवाद देश की प्रमुख समस्या है। इसे दूर करने के लिए प्रशासनिक प्रयास के साथ-साथ ऐसे साहित्य प्रयास के लिए वे लेखिका रेणुका तिवारी को साधुवाद देते है। उन्होंने कहा कि लेखन का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना नहीं वरन राष्ट्र निर्माण भी होना चाहिए।
पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अरुण सिंह ने बताया कि लाल सलाम जैसे विषय पर उपन्यास लिखना सचमुच बहादुरी का कार्य है। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि हमें सिस्टम की उन खामियों को दूर करना होगा, जिससे भटककर रहिवासी नक्सली बनते है। साथ ही नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास करना होगा।
रांची सिटिजन फोरम के अध्यक्ष दीपेश निराला ने कहा कि झारखंड में नक्सलवाद आज भी बड़ी समस्या है, जिसके कारण राज्य के कई जगहों पर विकास प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस उपन्यास में इस समस्या के हल की बात कही गयी है जो निश्चय ही राष्ट्र और साहित्य को नयी दिशा प्रदान करेगा।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में प्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि अलविदा लाल सलाम उपन्यास के लिए सर्वप्रथम वे इसके लेखिका रेणुका तिवारी को सलाम करते हैं जिन्होंने ऐसे शीर्षक को चुना जिसके लिए अदम्य साहस और संवेदनशील लेखनी की जरुरत थी। मुझे ख़ुशी है कि रेणुका तिवारी ने ये दोनों कार्य बखूबी निभाया है।
उन्होंने कहा कि लेखक ने उपन्यास में नक्सलवाद के स्याह पक्ष को बड़े ही मार्मिक ढंग से चित्रित किया है। समारोह में मंच संचालन की भूमिका मृदुला ने निभाई। धन्यवाद ज्ञापन सुशील लाल द्वारा किया गया। लोकार्पण समारोह में शहर के दर्जनों साहित्यकार, शिक्षकों, पत्रकारों, रांची सिटीजन फोरम के उमाशंकर सिंह, विनोद कुमार बेगवानी, हरीश नागपाल, प्रशांत कुमार प्रधान, विवेक कुमार महारथी समेत सैंकड़ों गणमान्य उपस्थित थे।
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