पुरी के जगन्नाथ मंदिर के आसपास अयोध्या जैसी भव्यता की तैयारी

पीयूष पांडेय/बड़बिल (ओडिशा)। उत्तर प्रदेश के श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या के तर्ज पर ओडिशा के पुरी में भी भव्यता देने की तैयारी की जा रही है। ओडिशा में भी धार्मिक उत्साह का एक अनोखा उन्माद देखा जा रहा है।

ओडिशा के कुल 857 मंदिरों, 180 प्रमुख भारतीय मंदिरों, हिंदू धर्म के चार धामों और नेपाल के राजा जिन्हें जगन्नाथ मंदिर पुरी में विशेष अधिकार प्राप्त है को निमंत्रण भेजा जाएगा। ऐसे समय में जब अगले साल 2024 के 22 जनवरी को बहुप्रतीक्षित भव्य उद्घाटन के साथ अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण को लेकर बड़े पैमाने पर चर्चा हो रही है, उसी अवधि के आसपास ओडिशा में भी धार्मिक उत्साह का एक अनोखा उन्माद देखा जा सकता है।

भगवान जगन्नाथ के निवास का नवीनीकरण करने के लिए ओडिशा सरकार की सदी की परियोजना की शुरुआत हो चुकी है। श्रीमंदिरा परिक्रमा परियोजना (एसएमपीपी) जिसे सदी में एक बार होने वाले नवीकरण के रूप में पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर के आसपास के विकास के रूप में जाना जाता है, आगामी 17 जनवरी को इस तरह से अनावरण करने के लिए तैयार है, जिसकी राज्य में कुछ मान्यताएं हैं।

जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) जो 12वीं सदी के मंदिर के मामलों का प्रबंधन करता है, ओडिशा में 857 मंदिरों और अन्य राज्यों के 180 प्रमुख मंदिरों को निमंत्रण भेज रहा है। इसके अलावा हिंदू धार्मिक मंडलियां चौबीसों घंटे ढोल की थाप के बीच भजन गाती तथा लयबद्ध नृत्य करती हैं।

इसे 943 करोड़ रुपये के निवेश पर विकसित की जा रही।
यह श्रीमंदिरा परिक्रमा परियोजना (एसएमपीपी) मेघनाद पचेरी (जगन्नाथ मंदिर के चारों ओर भव्य सीमा) से सटी हुई है, जो मूल रूप से सुरक्षा क्षेत्र योजना है। इसे मोटे तौर पर उत्तरी, दक्षिणी और पश्चिमी तरफ नौ क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।

एसएमपीपी में 7 मीटर का हरा बफर जोन और 10 मीटर का पैदल यात्री केवल अंतर (आंतरिक) प्रदक्षिणा शामिल है, जिसका उपयोग मंदिर की परिक्रमा (घड़ी की दिशा में परिक्रमा) के लिए किया जाएगा। आठ मीटर का बाहरी परिक्रमा पथ दोनों तरफ पेड़ों से ढका होगा। वहीं 10 मीटर का जनसुविधा क्षेत्र होगा।

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