सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। झारखंड राज्य आजीविका पीआरपी, बीएपी संघ की राज्य स्तरीय कार्यकारणी समिति की बैठक 14 दिसंबर को नगड़ी मैरिज हॉल में प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना कापरी की अध्यक्षता में आयोजित हुई।
आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए संघ के पदाधिकारी नारायण महतो, मुस्तकीम रज़ा, ऋचा देवी, कार्तिक कुमार साहू, दीपक कुमार, सबिता देवी सहित अन्य ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग के तहत संचालित झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी में कार्यरत पीआरपी और बीएपी पूरे प्रदेश में सरकार की विभिन्न महत्वपूर्ण योजनाओं को धरालत में उतारने का कार्य कर रही है।
कहा गया ज सरकार पीआरपी और बीएपी को उनके कार्य के बदले उनके व्यक्तिगत खाता में मानदेय तक नहीं दे पा रही है। पूरे प्रदेश में आधी आबादी ग्रामीण महिलाओं की उनकी आजीविका में सुधार कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्षेत्र में लगे हुए हैं। कहा गया कि खुद पीआरपी और बीएपी अपनी आजीविका बचाने के जदोजहद कर रहे हैं।
मुन्ना कापरी ने कहा कि 2014 से जेएसएलपीएस में कार्यरत पीआरपी और बीएपी को आज तक महंगाई भत्ता का लाभ तक नहीं मिल पाया है। न ही एचआर पॉलिसी से जोड़कर एफटीई का लाभ दिया गया है। ऐसे में पूरे प्रदेश के सभी पीआरपी और बीएपी नाराज़ है। कार्यकारणी समिति की बैठक में सभी जिला से आये संघ के पदाधिकारियों ने सर्व सम्मति से निर्णय लिया कि जल्द ही मांगों पर विभाग और सरकार पहल नहीं करती है तो संघ आंदोलन की ओर बढ़ेगी।
बैठक में कहा गया कि वर्षों से व्यक्तिगत खाता में कार्य के बदले मानदेय देने, महंगाई भत्ता को देखते हुए सम्मानजनक मानदेय वृद्धि करने, एक निश्चित मानदेय तय कर एकमुश्त भुगतान करने और राज्य के समस्त पीआरपी, बीएपी को एचआर पॉलिसी से जोड़ने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, सभी विधायक एवं विभाग के पदाधिकारियों को मांग पत्र दिया गया है, लेकिन अभी तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
वक्ताओं द्वारा कहा गया कि विभाग से आश्वाशन मिलने के बाद भी अभी तक हमारी मांग के ऊपर कोई सकारात्मक पहल नही किया गया। इसको लेकर झारखंड के समस्त पीआरपी, बीएपी आक्रोशित है।
इसी पर सभी ने चर्चा कर आगे की रणनीति तय करते हुए कहा कि संघ दिसंबर में मांगो को लेकर विरोध प्रदर्शन करेगी। मौके पर अजय सिंह, आलोक कुमार, अतुल तिवारी, नूरी, अर्चना, सत्यजीत, बेबीबाला देवी, सुधा, रेशमी, दीपक सहित ज़िला के सभी पदाधिकारी उपस्थित थे।
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