सामयिक परिवेश द्वारा सोनपुर मेला में कवि-सम्मेलन में शामिल हुए कई दिग्गज

कवि सम्मेलन में डॉ रेणु शर्मा की कविता संग्रह मुक्त मन का लोकार्पण

एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। आओ अंधेरों की बस्ती में प्रकाश की बात करें, नफरत की दुनिया छोड़कर प्यार की बात करें।

उपरोक्त पंक्तियाँ औरंगाबाद से आये जाने-माने वरीय कवि एवं कथाकार अरविन्द अकेला ने बीते 7 दिसंबर को सारण जिला के हद में विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला में बिहार की लोकप्रिय साहित्यिक संस्था सामयिक परिवेश द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में कविता प्रस्तुत करते हुए कही। कवि अकेला ने अपनी हास्य-व्यंग्य कविताओं के माध्यम से यहां श्रोताओं की जमकर तालियाँ बटोरी। कवि सम्मेलन व् मुशायरा में जाने माने कई दिग्गज कवि व् गजल गायक शामिल हुए।

इस अवसर पर सामयिक परिवेश की अध्यक्षा एवं वरीय कवियित्री ममता मेहरोत्रा के कुशल संयोजन एवं छपरा से पधारे उद्घोषक संजय भारद्वाज के कुशल संचालन में आयोजित कवि सम्मेलन में बिहार की राजधानी पटना के चर्चित शायर कासिम खुर्शीद ने अपने गजल की इन पंक्तियों तुम्हारी याद में खोता नहीं हूँ, मगर मैं रातभर सोता नहीं हूँ। कहीं मुझमें सफर रहता है जारी, मगर मैं रातभर सोता नहीं हूँ। सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया।

एक तरफ कवियित्री अनीता मिश्रा सिद्धि की भोजपुरी कविता की यह पंक्तियाँ नइहर के रहिया भुलवल हो बाबा, काहे भेज देला ससुराल हो, अबही त हम रही चिरैया, रो रो भइनी बेहाल हो ने जहां भाव विह्वल कर दिया वहीं दूसरी ओर मुजफ्फरपुर की युवा कवियित्री सविता राज के गजल की यह पंक्तियाँ होठों पर मुस्कान दिखानी पड़तीहै। पीर हृदय की रोज छिपानी पड़ती है। श्रोताओं के चेहरे पर मुस्कान ला दिया।

कवि सम्मेलन व् मुशायरा में वरीय कवियित्री एवं सामयिक परिवेश की अध्यक्षा ममता मेहरोत्रा की कविता की इन पंक्तियाँ लाख जतन करने पड़ते हैं, इश्क की मंजिल पाने को। दिल हारा है, तब जीता है मैंने एक दीवाने को तालियों के बीच काफी सराही गयी।

पटना के वरीय साहित्यकार शिवनारायण ने अपनी गजल उपर-उपर क्या पढ़ लोगे, जीवन यह अखबार नहीं है को सुनाकर श्रोतागण का मन मोह लिया। जबकि युवा कवि समीर परिमल ने अपनी कविता इश्कवाले हैं प्यार वाले हैं, हम फ़िजा में बहारवाले हैं। मुस्कुराकर जो देखिए हमको जान दे दें हम बिहार वाले हैं सुनाकर उपस्थित जनों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।

यहां मुंगेर से पधारे चर्चित कवि अनिरूद्ध सिन्हा की कविता की यह पंक्तिया मेरे जज्बात मेरे नाम बिके, उनके इमान सरे आम बिके तालियों के बीच सराही गयी, जबकि राँची से पधारे वरीय शायर दिलशाद नजमी की गजल हम मोहब्बत के नहीं सबसे अदा होते हैं, मतलबी लोग तो मिलते हैं जुदा होते हैं को तालियों के बीच जमकर सराहना मिली।

इस अवसर पर वरीय कवियित्री रूबी भूषण की गजल साथ उसका रहा दिल्लगी की तरह, जिन्दगी कब रही जिन्दगी की तरह ने महफ़िल में चार चांद लगा दिया। वरीय कवि अशोक कुमार सिन्हा की कविता मत गाओ वह गीत की नयन पुन: भर जाये, सुधा पांडेय की यह पंक्ति ऐ चाँद गुरूर न कर एवं प्रतिभा रानी की यह पंक्तियाँ पुरूष हो प्रकृति का सम्मान करो, नहीं अपने पुरुषत्व पर अभिमान करो उपस्थित श्रोताओं के दिल पर अपनी अमिट छाप छोड़ने में काफी सफल रही।

आयोजित कवि सम्मेलन के पश्चात वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर से पधारी कवयित्री डॉ रेणु शर्मा के काव्य संग्रह मुक्त मन का लोकार्पण किया गया एवं सभी कवियों तथा कवियित्रीयों को अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया।

 248 total views,  1 views today

You May Also Like

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *