झारखंड की राजधानी के रांची के अधिकांश बच्चे मानते हैं वायु प्रदूषण से है खतरा

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड की राजधानी रांची के अधिकांश बच्चे प्रदूषण को मानव जीवन के लिए खतरा मानते है। इस तथ्य का खुलासा 25 नवंबर को स्विचऑन फाउंडेशन द्वारा किया गया है।

रांची के लगभग 300 से अधिक बच्चों पर वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों और विशेष रूप से सर्दियों के दौरान मृत्यु दर और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं में वृद्धि के बारे में चिंतित होकर, स्वच्छ हवा में सांस लेने के अपने अधिकार की वकालत करते हुए सड़कों पर उतर आए।

स्वच्छ हवा में सांस लेने के अपने अधिकार का एक शक्तिशाली संदेश देने के लिए बच्चे शांतिपूर्ण सैर के लिए एक साथ आए। स्वच्छ हवा में सांस लेने के अपने अधिकार की तलाश में एक अनोखे शो में स्कूलों के बच्चे, कॉलेजों के युवा और भुवनेश्वर के बाल अधिकार आधारित संगठन स्वच्छ हवा में सांस लेने के अपने मौलिक अधिकार की वकालत करते हुए शांतिपूर्ण सैर के लिए सड़कों पर उतरे।

जानकारी के अनुसार इस पहल का उद्देश्य बच्चों की भलाई के लिए स्वच्छ हवा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और स्वस्थ वातावरण में बड़े होने के उनके अधिकार पर जोर देना था। इन छोटे बच्चों ने वायु गुणवत्ता के मुद्दों के समाधान के लिए सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए प्रतीकात्मक यात्रा शुरू की।

इस शांतिपूर्ण पदयात्रा के माध्यम से बच्चों ने बताया कि स्वच्छ हवा तक पहुंच केवल विशेषाधिकार नहीं बल्कि उनका मौलिक अधिकार है, जिसे सुरक्षित रखा जाना चाहिए।

इस अवसर पर रांची के महापौढ़ (मेयर) संजीव विजय वर्गीय ने कहा कि स्वच्छ हवा के लिए हमारे बच्चों की अपील शक्तिशाली अनुस्मारक है कि स्वस्थ भविष्य के उनके अधिकार को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने आमजनों से अपील करते हुए कहा कि आइए कार्रवाई करें, जिस हवा में बच्चे सांस लेते हैं उसे सुरक्षित बनाएं और उन्हें स्वस्थ रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाएं।

रांची में 300 से अधिक बच्चे वॉक फॉर क्लीन एयर को लेकर एक साथ सड़क पर उतरे। शुरुआती बिंदु सरकार थी। मध्य विद्यालय और अंतिम बिंदु कोकर चौक था। रांची के राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोकर, जीपी स्कूल कोकर सहित कई अन्य सरकारी स्कूल और निजी स्कूलों के साथ-साथ मानवाधिकार सुरक्षा संगठन जैसे संगठन वॉक फॉर क्लीन एयर का हिस्सा बने।

इस अवसर पर स्विचऑन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक विनय जाजू ने कहा कि बच्चों की एक पूरी पीढ़ी ख़तरे में है। उन्होंने कहा कि बच्चों और युवाओं के साथ एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि वे वायु प्रदूषण के बारे में गहराई से चिंतित हैं। समाधान हमारे सामने है। यहाँ तक कि बच्चे भी इसे जानते हैं। यह हमारी भावी पीढ़ी के लिए एक साथ आने और स्वस्थ स्वच्छ हवा के उनके अधिकार को सुरक्षित करने का समय है।

जाजू ने बताया कि वर्षों से विशेषज्ञ कहते रहे हैं कि बच्चे प्रदूषण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनके फेफड़े अविकसित होते हैं। उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। फिर भी, दुनिया भर में 10 में से नौ बच्चे सुरक्षित स्तर से अधिक विषाक्त वातावरण में सांस ले रहे हैं।

कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्थिति गंभीर हो गई है। यहां तक कि यूनिसेफ जैसी वैश्विक संस्थाओं ने भी भविष्यवाणी की है कि वायु प्रदूषण 2050 तक बाल मृत्यु का प्रमुख कारण बन जाएगा। कहा कि सभी बच्चों को स्वच्छ हवा में सांस लेने का अधिकार होना चाहिए।

ज्ञात हो कि, स्विचऑन फाउंडेशन द्वारा झारखंड में वायु गुणवत्ता के बारे में बच्चों और युवाओं की धारणा पर एक फ्लैश सर्वेक्षण किया गया था। वायु प्रदूषण के बारे में उनकी धारणाओं का आकलन करने के लिए कुल 572 युवाओं के बीच सर्वेक्षण किया गया था।

अध्ययन से पता चला कि 93.4 प्रतिशत बच्चों और युवाओं ने यह विश्वास व्यक्त किया कि वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा है। यह पाया गया कि युवा आबादी वाहनों और उद्योगों को अपने इलाकों में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारकों के रूप में मानती है, जिसमें 44.4 प्रतिशत ने वाहनों को प्रमुख कारण बताया।

स्विचऑन द्वारा सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया कि युवा सक्रिय रूप से जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने की वकालत कर रहे हैं, जिससे राज्य की वायु प्रदूषण की स्थिति में सीधे तौर पर कमी आएगी।

युवाओं ने शैक्षणिक संस्थानों में अनिवार्य पर्यावरण शिक्षा का समर्थन किया और सरकार से वायु प्रदूषण से उत्पन्न चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए इस महत्वपूर्ण रणनीति को अपनाने का आग्रह किया। अधिकांश युवाओं ने पारंपरिक साइकिल और आधुनिक इलेक्ट्रिक वाहनों सहित पर्यावरण-अनुकूल परिवहन को प्राथमिकता देने के लिए सरकार से आग्रह करने के महत्व पर जोर दिया।

इस संबंध में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ रश्मी कोंगारी ने कहा कि सूक्ष्म और अति सूक्ष्म कण सीधे गर्भनाल रक्त वाहिकाओं के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं और भ्रूण (गर्भ में बच्चे) को प्रभावित कर सकते हैं। कहा कि प्रदूषण एक प्रणालीगत सूजन का कारण बन सकता हैं जो अंग के विकास के साथ-साथ भ्रूण की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी प्रभावित कर सकता है।

उन्होंने कहा कि जन्म के बाद बच्चों में विभिन्न समस्याएं होती हैं। जैसे समय से पहले जन्म, एलबीडब्ल्यू, आईयूजीआर, जन्म दोष, संज्ञानात्मक समस्याएं आदि। डॉ कोंगारी ने कहा कि बच्चे को इस खूबसूरत दुनिया में लाना और उसका पालन-पोषण करना हमारा कर्तव्य है। यह पुरी तरह वायु प्रदूषण मुक्त होनी चाहिए।

उक्त कार्यक्रम में दिल छू लेने वाले क्षण वह था जब बच्चे, शिक्षकों और समुदाय के सदस्यों के साथ, एकजुटता के साथ एक साथ आए। बच्चे बैनर और तख्तियां लिए हुए थे जिन पर स्वच्छ हवा और हर बच्चे के शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देने वाले वातावरण में रहने के अधिकार की वकालत करने वाले संदेश लिखे थे।

वॉक में भाग लेने वाले दर्जनों स्कूली छात्र ने एक स्वर में कहा कि मैंने अपने दोस्तों को सांस फूलने की समस्या से पीड़ित देखा है। मुझे लगातार खांसी और सर्दी रहती है। मैं खेल और बाहर खेलने का आनंद नहीं ले पाता हूं। मुझे प्रदूषण पसंद नहीं है। इसलिए मैं आमजनों से अनुरोध करता हूं कि वे बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कार्रवाई करें।

राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोकर kiv वंदिता बोस ने कहा कि हमारे बच्चे हमारे अस्तित्व का भविष्य है। हम वयस्कों की जिम्मेदारी है कि हम वायु प्रदूषण के खिलाफ कार्रवाई करने की उनकी अपील को सुनें। उन्होंने कहा कि स्विचऑन फाउंडेशन के साथ स्वच्छ वायु के लिए पदयात्रा ने छात्रों को स्वच्छ वायु के लिए एकजुट होने में सक्षम बनाया है।

मानवाधिकार सुरक्षा संगठन के संतोष कुमार सोनी ने कहा कि वायु प्रदूषण इस बात की सबसे स्पष्ट अभिव्यक्तियों में से एक है कि कैसे जलवायु संकट मानवता का दम घोंटने की हद तक गहराता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम स्वच्छ वायु के लिए अपने बच्चों के आह्वान के लिए उनके साथ खड़े हैं।

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