भाषा किसी भी राष्ट्र और समाज की आत्मा होती है-राज्यपाल रमेश बैस
प्रहरी संवाददाता/मुंबई। भारत सरकार, गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा गरुवार 23 नवंबर को नाभिकीय उर्जा भवन, अणुशक्ति नगर, मुंबई में मध्य एवं पश्चिमी क्षेत्रों के संयुक्त क्षेत्रीय राजभाषा का संपन्न हुआ। इस समारोह की अध्यक्षता महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने किया।
इस अवसर पर गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा (टेनी) मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद थे। न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भुवन चंद्र पाठक, गृह मंत्रालय राजभाषा विभाग की सचिव, संयुक्त सचिव सहित केंद्र सरकार और केंद्रीय कार्यालयों के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी भी उपस्थित थे।
इस मौके पर राज्यपाल रमेश बैस ने कहा की भाषा किसी भी राष्ट्र और समाज की आत्मा होती है जिसमें वह देश संवाद करता है, अपने भावों को अभिव्यक्त करता है। राष्ट्र की पहचान इस बात से भी होती है कि उसने अपनी भाषाओं को किस सीमा तक मजबूत, व्यापक एवं समृद्ध बनाया है।
उन्होंने कहा कि भाषा हमारे विचारों का परिधान होती है और हिंदी भाषा में भारत के वह विशिष्ट सांस्कृतिक मूल्य हैं, जिनकी वजह से हम पूरे विश्व में अतुलनीय हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी में उन करोड़ों भारतीय लोगों की भावनाएं हैं जो हिंदी में सोचते हैं, हिंदी बोलते हैं और जिनके जीवन की रग-रग में हिंदी रची बसी है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारे लोकतंत्र का मूलमंत्र है -‘सर्वजन हिताय’ अर्थात सबकी भलाई है। हमारे लिए यह समझना जरूरी है कि देश की जनता की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक सभी प्रकार की अपेक्षाओं को पूरा करने वाली योजनाओं व कार्यक्रमों को आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाना है।
साथ ही सरकारी तंत्र का अति महत्वपूर्ण कर्तव्य है और उसकी सफलता की कसौटी भी। उनका कहना था कि सरकार की कल्याणकारी योजनाएं तभी प्रभावी मानी जाएंगी जब जनता और सरकार के बीच निरंतर संवाद, संपर्क और पारदर्शिता बनी रहे और योजनाओं का लाभ देश के सभी नागरिकों को समान रूप से मिले।
महाराष्ट्र में बोली जाने वाली भाषा-मराठी है जो कि महाराष्ट्र में जन-जन से जुड़ी हुई है अथवा भारत के अन्य प्रदेशों की भाषाएं हों, यह आवश्यक है कि क्षेत्रीय भाषाओं का परिरक्षण, संवर्धन और विकास किया जाए तथा इनके बीच निरंतरता से परस्पर संवाद कायम किया जाए, ताकि भारतीय साहित्य समृद्ध हो सके।
रमेश बैस का कहना था कि हिंदी निर्विवाद रूप से देश की राजभाषा के साथ-साथ संपर्क भाषा भी है, इसलिए हिंदी में विषय सामग्री की समृद्धि से दूसरी भारतीय भाषाओं का भी विकास हो। उन्होंने कहा इस दिशा में अपनी उपलब्धियों और प्रयासों पर पुन: दृष्टि डालें और एकजुट होकर हिंदी के समुचित विकास के लिए प्रयत्न करने का संकल्प लें।
इस अवसर पर गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि
राजभाषा के कार्यों को बढावा देने के लिए पुरस्कार दिए जाते हैं। राजभाषा विभाग का प्रयास है कि स्वप्रेरणा से लक्ष्यों को प्राप्त किया जाये। उन्होंने कहा कि देश की राजभाषा संबंधी व्यावहारिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसी प्रकार नई शिक्षा नीति के द्वारा शैक्षिक चुनौतियों का समाधान किया जा रहा है जिससे युवाओं की प्रतिभा प्रदर्शन में भाषा बाधक न बने।
अजय कुमार मिश्रा ने कहा कि भाषा के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, हमारी भाषाओं में किसी प्रकार की प्रतिस्पर्धा नहीं है।प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सभी भाषाएँ आगे बढ़ी हैं, मिश्रा ने कहा कि हमें 2047 तक भाषाई रूप से समृद्ध होना है। राजभाषा विभाग तकनीकी विकास के कार्य कर रहा है जिसमें कंठस्थ, लीला ऐप, ई – महा शब्दकोश तथा हिंदी शब्द सिंधु आदि शामिल हैं।
प्रधानमंत्री जी (Prime Minister) ने अपनी संस्कृति और परंपराओं को विश्व के सामने रखा है। लगभग 48 देशों में हमारे प्रतिनिधि भाषा और संस्कृति के विकास को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग की सचिव सुश्री अंशुली आर्या ने कहा कि राजभाषा सबंधी संवैधानिक प्रावधानों का अनुपालन करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि राजभाषा नियम, 1976 के नियम 12 के अनुसार केन्द्रीय सरकार के प्रत्येक कार्यालय के प्रशासनिक प्रधान का यह उत्तरदायित्व है कि वह राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा से संबंधित नियमों तथा समय-समय पर राजभाषा विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का समुचित रूप से अनुपालन सुनिश्चित कराएं, आदि।
इन प्रयोजनों के लिए उपयुक्त और प्रभावकारी जांच-बिंदु बनवाएं और उपाय करें। कार्यक्रम के अंत में गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग की संयुक्त सचिव डॉ मीनाक्षी जौली ने सभी अतिथियों का धन्यवाद किया।
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