साभार/ मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर उर्जित पटेल ने बुधवार को सरकार तथा केंद्रीय बैंक के बीच टकराव के मुद्दों पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करने के लिए किए गए संवाददाता सम्मेलन में पटेल ने टकराव से जुड़े तीन मुद्दों पर टिप्पणी करने से परहेज किया।
गवर्नर ने कहा, ‘मैं ऐसे सवालों पर टिप्पणी नहीं करूंगा, क्योंकि अभी हम मौद्रिक नीति के नतीजे पर चर्चा कर रहे हैं।’ आरबीआई के डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य द्वारा केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता को लेकर लोगों के बीच अपनी बात रखने और इकनॉनिक कैपिटल मैनेजमेंट फ्रेमवर्क के मुद्दे पर भी पटेल ने कोई जवाब नहीं दिया। अक्टूबर में सरकार के साथ टकराव सामने आने के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए पटेल ने कहा, ‘क्या ये सवाल मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) से जुडे़ हैं? मुझे तो ऐसा नहीं लगता। हम यहां एमपीसी के प्रस्ताव और मैक्रोइकॉनमी पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए हैं।’
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 7 के तहत केंद्रीय बैंक के साथ चर्चा के बाद से ही मिंट रोड और नॉर्थ ब्लॉक के बीच के संबंधों में कड़वाहट घुली हुई है। सेक्शन 7 सरकार को जनहित के मुद्दों पर आरबीआई को निर्देश देने का अधिकार देता है, जिसका अभी तक इस्तेमाल नहीं किया गया है।
केंद्रीय बैंक के सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने लगभग दर्जन भर मांगों को लेकर 10 अक्टूबर तक आरबीआई को तीन पत्र भेज चुकी है, जिसका जवाब एक सप्ताह के भीतर ही दिया गया था। प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन, लाभांश का भुगतान, लोन रिस्ट्रक्चरिंग मुद्दा, सरकारी बैंकों का रेग्युलेशन, पेमेंट्स रेग्युलेटर, आरबीआई बोर्ड में नियुक्तियां, कंपनियों के लिए विशेष विंडो, एनबीएफसी में नकदी किल्लत और आरबीआई के पास कैश रिजर्व जैसे मुद्दों पर सरकार के आरबीआई के साथ मतभेद हैं।
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