बिहार में छात्र राजनीति से बीजेपी और जेडीयू में तनाव

साभार/ पटना। बिहार में छात्र राजनीति का असर जेडीयू और बीजेपी के संबंधों पर पड़ने लगा है। इसी क्रम में जेडीयू के उपाध्यक्ष प्रशांत की गाड़ी पर हमला भी हुआ है तो बीजेपी के नेता अपनी ही सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए हैं। साथ ही दोनों दलों के नेताओं की ओर से तीखी बयानबाजी भी हुई है।

बीजेपी मुख्य रूप से प्रशांत किशोर पर हमलावर है। दरअसल पटना यूनिवर्सिटी में छात्र संघ का चुनाव हो रहा है। इसमें पहली बार प्रशांत किशोर की अगुवाई में जेडीयू की छात्र इकाई आक्रामक तरीके से चुनाव लड़ रही है। इसी कोशिश में पिछले दिनों एबीवीपी के एक सीनियर नेता को जेडीयू में शामिल कर लिया गया। इसके बाद से ही बीजेपी प्रशांत किशोर से नाराज है। पार्टी ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर गलत तरीके से छात्र संघ चुनाव को प्रभावित कर रहे हैं।

यह मामला तब और बढ़ गया जब प्रशांत किशोर की गाड़ी पर सोमवार पटना यूनिवर्सिटी के अंदर हमला हुआ। हालांकि इसमें पीके को चोट नहीं आई लेकिन उनकी गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई। इसके बाद प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर एबीवीपी पर करारा हमला करते हुए लिखा कि कि एबीवीपी के गुंडे को इन कामों को छोड़ कुछ अच्छा करना चाहिए और पटना यूनिवर्सिटी के छात्रसंघ चुनाव में संभावित हार की घबराहट मेरी गाड़ी पर पत्थर मारने से कम नहीं होगी। इसके बाद पुलिस ने एबीवीपी के ठिकानों पर छापे भी मारे।

एबीवीपी पर पुलिस दबिश से गुस्से में बीजेपी के नेता गवर्नर लालजी टंडन के पास फरियाद लेकर पहुंच गए। इसमें पार्टी के कई सीनियर लीडर साथ थे। गवर्नर से बीजेपी नेताओं ने हस्तक्षेप कर छात्र संघ के चुनाव में धांधली रोकने की मांग की है। वहीं आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने जेडीयू और बीजेपी के बीच इस तनातनी पर नीतीश सरकार को घेरा है।

सूत्रों के अनुसार जब से प्रशांत किशोर ने जेडीयू उपाध्यक्ष का पद संभाला है तब से वह आक्रामक तरीके से पार्टी का विस्तार करने में जुटे हैं। पार्ट का यूथ विंग कम समय में खड़ा करने के बाद वह दूसरे दलों के कई नेताओं से भी संपर्क में आए हैं। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के विधायकों को भी तोड़ने में प्रशांत किशोर की अहम भूमिका मानी गई। इसके अलावा वह मुकेश साहनी, पप्पू यादव सहित राज्य के कई ऐसे नेताओं के संपर्क है जो अपने-अपने क्षेत्रों और जातियों में वोट को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। इससे न सिर्फ आरजेडी के अंदर चिंता बढ़ी बल्कि बीजेपी भी सतर्क हो गई है। मौजूदा विवाद को भी उसी परिपेक्ष में देखा जा रहा है।

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