बनारस के संस्कृति संसद में झारखंड के गंगा महासभा के पदाधिकारी शामिल

संस्कृति संसद में केरल से लद्दाख तक के सैकड़ो साधु-संत हुए सम्मिलित

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। उत्तर प्रदेश के धर्म नगरी वाराणसी में आयोजित संस्कृति संसद में झारखंड के गंगा महासभा के दर्जनों पदाधिकारी शामिल हुए। यहां संस्कृति संसद में केरल से लद्दाख तक के सैकड़ो साधु-संत सम्मिलित हुए।

गंगा महासभा बिहार-झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष धर्म चन्द्र पोद्दार ने वाराणसी से बताया कि संस्कृति संसद का प्रथम दिन धर्म विमर्श पर केंद्रित रहा।

इस संबंध में जानकारी देते हुए रांची के समाज सुधारक दीपेश कुमार निराला ने 3 नवंबर को बताया कि संस्कृति संसद के प्रथम दिन सनातन धर्म के समक्ष उपस्थित सामयिक प्रश्न, हिन्दू होलोकास्ट, सनातन हिंदू संस्कृति के विरुद्ध वाह्य एवं आंतरिक षड्यंत्र, सनातन हिंदू धर्म की मंदिर केंद्रित व्यवस्था, आदि।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर निर्माण, हिंदू स्वाभिमान का पुनर्जागरण, युगानुकूल आचार संहिता एवं हिंदुओं के धार्मिक निर्णय, आयुर्वेद, योग, ज्योतिष समेत विश्व समुदाय को भारत की देन एवं हिंदू विरोधी कानून द्वारा धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हिंदुओं का दमन आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की गयी।

बताया जाता है कि इस आयोजन में बिहार-झारखंड से पोद्दार के अलावा झारखंड के गढ़वा से नवीन तिवारी, आशीष दुबे, अनिमेष कुमार, बिहार के मोतिहारी से रवि शंकर मिश्रा, आशीष कुमार, आशीष कुमार ठाकुर, अंजली चौधरी, झारखंड की राजधानी रांची से बृख भान अग्रवाल, दीपेश निराला, बिहार की राजधानी पटना से राहुल कुमार एवं भागलपुर से योगेंद्र कुमार मंडल, धनबाद से आनंद प्रकाश, रामगढ़ से शशि श्रीवास्तव आदि ने भाग लिया।

इसके साथ ही विभिन्न प्रांतों से सैकडों की संख्या में पधारे महामंडलेश्वर, मण्डलेश्वर, आचार्य एवं अनेक संत महात्माओं ने भाग लिया।

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