मुंबई। 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के दस साल हो गए। इन दस सालों में आतंकी हमलों को लेकर मुंबई कितनी सुरक्षित है? यह सवाल हर मुंबई वासियों के जेहन में है। आज आतंकवाद मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उससे मुकाबला करना एवं उसे मुहतोड़ जवाब देना जरुरी है। यह तभी संभव है, जब सुरक्षा एजेंसियां अत्याधुनिक हथियारों से लैस होंगी। मुंबई आतंकवादी हमले के दौरान कई खामियां सामने आयी थी। मुंबई पुलिस सहित सुरक्षा एजेंसियां इस भयावह हमले को भांपने में नाकाम रही थी।
हमले के दौरान आतंकावदियों के एके-47 राइफल के सामने पुलिस की राइफलें नाकाफी साबित हुईं। पुरानी राइफलें एवं घटिया बुलेट-प्रूफ जैकेट के कारण मुंबई पुलिस के कई जवानों को अपनी जान गवानी पड़ी। इस हमले के दौरान सुरक्षा एजेंसियों की चूक, दुबारा इस तरह के हमले न हो और हमले होने पर उसका जवाब दिया जा सके। इसके लिए सरकार ने राम प्रधान कमेटी बनायी थी। राम प्रधान कमेटी ने आतंकवादी हमले को रोकने और हमले होने पर उसके जवाब देने के लिए सरकार को कई सुझाव दिए थे।
प्रधान कमेटी के सुझाव पर भले ही पूरी से अमल नहीं किया जा सका है, लेकिन आज मुंबई पुलिस 26/11 जैसे आतंकवादी हमले का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी तरह से सक्षम है। मुंबई पुलिस का केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों से तालमेल बेहतर हुआ है। मुंबई में दादर, झवेरी बाजार और ओपेरा हाउस के आतंकी हमले को छोड़ दें, तो पिछले दस सालों में मुंबई पुलिस सहित सुरक्षा एजेंसियों ने कई आतंकवादी हमलों की साजिश को नाकाम किया है। सुरक्षा एजेंसियों ने आईएसआई और लश्कर-ए-तोयबा के कई संदिग्ध आतंकवादियों को मुंबई से गिरफ्तार किया।
मुंबई में फोर्स वन की तैनाती
राम प्रधान कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 26 नवंबर 2008 के आतंकवादी हमले से पहले खुफिया एजेंसियों से मुंबई पुलिस को ताज होटल सहित महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाने के इनपुट मिले थे, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया। कमेटी ने कई सुरक्षा की खामियों को उजागर किया और सरकार को सुरक्षा को लेकर कई सुझाव दिए थे।
उस पर इन दस सालों में काफी कुछ हद तक अमल किया गया है। मुंबई पुलिस का केंद्रीय खुफिया एजेंसियों से बेहतर तालमेल है। कोई भी खुफिया सूचानाएं मिलती हैं, उसे पुलिस काफी गंभीरता से लेती है। एनएसजी ने 26/11 के आतंवादियों का मुकाबला किया था। एनएसजी की एक टुकड़ी को मुंबई में तैनात किया गया है। एनएसजी की तर्ज पर फोर्स वन का गठन किया गया है। फोर्स वन के जवान एनएसजी के तर्ज पर प्रशिक्षित हैं।
खुफिया नेटवर्क में वृद्धि
मुंबई आतंकवादी हमले को खुफियां एजेंसियों के नाकामी का परिणाम माना गया था। आज राज्य में खुफिया नेटवक काफी मजबूत है। मुंबई पुलिस के स्पेशल ब्रांच (एसबी) को खुफिया सूचनाएं इकट्ठा करने की जिम्मेदारी है। एसबी का दूसरे खुफिया एजेंसियों से तालमेल बेहत हुआ है। सरकार ने स्पेशल ब्रांच में अलग से नियुक्तियां की हैं।
बुलटप्रूफ जैकेट से लैस पुलिस
26/11 के आतंवादी हमले में बुलटप्रूफ जैकेट पहनने के बावजूद हेमंत करकरे, अशोक कामटे और विजय सालसर जैसे मुंबई पुलिस के जांबाज अधिकारी शहीद हो गए। जांच में सामने आया था कि अच्छी क्वालिटी की बुलटप्रूफ जैकेट नहीं थी। राज्य सरकार ने मुंबई पुलिस के जवानों को अच्छी क्वालिटी की बुलटप्रूफ जैकेट मुहैया करवायी है। केंद्र सरकार से भी बुलटप्रूफ जैकेट मिले हैं।
सीसीटीवी कैमरे की नजर
सरकार ने आतंकी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाने का निश्चय किया था, उसे इन दस सालों में पूरा कर लिया गया है। पूरे शहर में सीसीटीवी कैमरे लगा दिए हैं। मुंबई पुलिस हाइटेक कंट्रोल रूम से शहर में होने वाली हर हलचल पर नजर रख रही है।
कड़ी समुद्री सुरक्षा
26/11 के आतंकवादी समुद्र के रास्ते से ही मुंबई में दाखिल हुए थे। नौसेना, तटरक्षक बल और कोस्टल पुलिस के लिए समुद्री सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती थी। इन दस सालों में नौसेना, तटरक्षक बल और कोस्टल पुलिस के साथ तालमेल बेहतर हुआ है। समुद्री की तटीय सुरक्षा के लिए गश्त के लिए अत्याधुनिक स्पीड बोट मुहैया करवायी गयी है। 117 किलो मीटर क्षेत्र में फैले मुंबई समुद्री तट की पेट्रोलिंग के लिए 27 स्पीड बोट हैं।
393 total views, 2 views today