एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। प्रसिद्ध नाट्य संस्था लोक पंच द्वारा 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर बिहार की राजधानी पटना में बाल विवाह नाटक का मंचन किया गया। उक्त नाटक को देखने बड़ी संख्या में शहरवासी उपस्थित थे।
प्रसिद्ध रंगकर्मी लेखक एवं निर्देशक मनीष महीवाल द्वारा प्रस्तुत नाटक बाल विवाह में पारंपरिक गीत संगीत एवं हास्य से भरपूर इस नाटक की शुरुआत छोटे बच्चों के खेलने से होता हैं। उक्त नाटक में मुनिया नाम की एक नाबालिग बच्ची है जो बकरी चराती है। बाकी बच्चों की तरह मुनिया भी पढ़ना लिखना चाहती है।
स्कूल जाना चाहती है। पर मुनिया के माता-पिता यह सोचते हैं कि जितनी जल्दी हो सके एक लड़का खोज कर बेटी का हाथ पीला कर दिया जाए। नाटक में पंडित जी के माध्यम से एक लड़का खोज कर शादी की तैयारी की जाती हैं। मुनिया के बार-बार मना करने के बाद भी उसके माता-पिता नहीं मानते और बच्ची को शादी के मंडप पर बिठा देते हैं। रिश्तेदार और गांव के गणमान्य शादी में शामिल होने के लिए उपस्थित रहते हैं और शादी शुरू हो जाती है।
इसी बीच एक सामाजिक कार्यकर्ता आता है और उन्हें समझाता है कि यह बाल विवाह अपराध है। आप सभी को सजा हो सकती है। समाजसेवी के समझाने के बाद लड़की के माता-पिता एवं गांव के रहिवासियों को समझ में आता है, और शादी को रोक दिया जाता हैं।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर लोक पंच की प्रस्तुति बाल विवाह के कलाकारों में समाजसेवी मनीष महिवाल, बच्ची के पिता रजनीश पांडेय, माता पीहू कुमारी, बच्ची (बेटी) सोनल कुमारी, पंडित आदि।
रोहित कुमार, दूल्हा कृष्ण देव, फूफा राम प्रवेश, जीजा देवेंद्र कुमार, दोस्त देव्यांक, अजित कुमार, अभिषेक राज तथा सहेली की भूमिका दीपा कुमारी ने बखूबी निभाई है।
जबकि, मंच से परे नेपथ्य में गायक अमित एमी, रूप सज्जा प्रियंका, वस्त्र विन्यास रितिका महिवाल, प्रकाश विजेंद्र महाजन, प्रस्तुति नियंत्रक हर्ष राज तथा लेखक व् निर्देशक मनीष महिवाल हैं।
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