मछुआरों को किया गया सम्मानित
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। विश्व वन्यजीव सप्ताह समारोह के अवसर पर सारण जिला के हद में सोनपुर पौधशाला से डाक बंगला रोड, रेलवे स्टेशन, रजिस्ट्री बाजार, गांधी चौक, अनुमंडलीय व्यवहार न्यायालय से सोनपुर पौधशाला तक बीते 6 अक्टूबर को डॉल्फिन जागरूकता रैली का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर सारण के वन प्रमंडल पदाधिकारी रामसुंदर ने कहा कि गंगा डॉल्फिन के संरक्षण के लिए मछुआरों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। कहा न यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत एक अनुसूचित संरक्षित प्रजाति है।
उन्होंने कहा कि डॉल्फिन का शिकार गैर-जमानती दंडनीय अपराध है। उन्होंने मछुआरों से यह भी अनुरोध किया कि यदि कोई डॉल्फिन संकट में पाई जाती है या अनजाने में मछली पकड़ने के जाल में फंस जाती हैं तो उसके बचाव और सुरक्षित रिहाई के लिए वन विभाग को सूचना दी जानी चाहिए।
वन क्षेत्र पदाधिकारी सुषमा कुमारी ने डॉल्फिन के बारे में जानकारी देते हुए मछुआरों को बताया कि वे मछली पकड़ने के लिए जहर देने या करंट का उपयोग करने से बचें, क्योंकि इससे डॉल्फिन मर जाती है। यह वन्य जीव अपराध के तहत दंडनीय है।
आयोजित रैली में केंद्रीय विद्यालय सोनपुर के छात्र, जन शिक्षण संस्थान सोनपुर के प्रशिक्षु, स्वयं सेवक, जिला प्रोग्राम पदाधिकारी नमामि गंगे, दिघवारा रेंज के वनपाल और वन रक्षकों ने गंगा बचाओ डॉल्फिन बचाओ, गंगा डॉल्फिन सोनपुर का गौरव है जैसे नारों के साथ भाग लिया।
जागरुकता रैली में गंगा डॉल्फ़िन के महत्व के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए स्थानीय 25 मछुआरों को भी आमंत्रित किया गया था।
मछुआरों और स्कूली बच्चों ने लिया डॉल्फिन के संरक्षण का संकल्प
रैली में शामिल मछुआरों और स्कूली बच्चों ने डॉल्फिन के संरक्षण का संकल्प लिया। साथ हीं वन प्रमंडल पदाधिकारी ने मछुआरों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।
यहां युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार के नामित प्रतिनिधि डॉ आशुतोष कुमार ने कार्यक्रम में भाग लिया और मछुआरों से डॉल्फिन को बचाने के लिए अनुरोध किया। डीएफओ सारण ने जन शिक्षण संस्थान सोनपुर का भी दौरा किया और प्रशिक्षुओं के साथ वन्यजीव संरक्षण और डॉल्फिन के महत्व पर चर्चा की। कार्यक्रम के दौरान संस्थान के निदेशक, प्रशिक्षक भी मौजूद रहे।
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