शिक्षक की भूमिका में रहे उप निर्वाचन पदाधिकारी
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। बिहार के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के दिशा निर्देश के आलोक में सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी के साथ जिला एवं विधानसभा स्तरीय मास्टर ट्रेनर का दो दिवसीय प्रशिक्षण सह मूल्यांकन कार्यक्रम 14 सितंबर को सारण जिला समाहरणालय सभागार में प्रारंभ किया गया।
उप विकास आयुक्त (डीडीसी) प्रियंका रानी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया। उन्होंने सभी मास्टर ट्रेनर को चुनाव के नियमों की तन्मयता से जानकारी प्राप्त करने के साथ कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी।
जिला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अनुसार पहले दिन दो सत्र में प्रशिक्षण का कार्यक्रम संचालित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उप निर्वाचन पदाधिकारी जावेद एकबाल एवं सोनपुर अनुमंडल के अवर निर्वाचन पदाधिकारी अखलाक अहमद शिक्षक की भूमिका में रहे।पदाधिकारी द्वय ने प्रशिक्षण को बहुत ही रोचक बना दिया और नामांकन, संविक्षा, नाम वापसी, अभ्यर्थिता, सिंबल एलॉटमेंट, बलनेरेबल मैपिंग, मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट, एक्सपेंडिचर मॉनिटरिंग आदि विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारी मास्टर ट्रेनर्स को दी।
एकबाल ने नाम निर्देशन के विषय पर जितनी सूक्ष्म और अहम जानकारियां दी, सिंबल एलॉटमेंट व मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट विषय पर भी उतने ही शानदार तथ्य प्रस्तुत किए। बहुत ही बारीकी से बिंदुवार समझाते हुए प्रशिक्षणार्थियों का उन्होंने ज्ञानवर्धन किया। उन्होंने भारत निर्वाचन आयोग के मानकों, संविधान में वर्णित धाराओं, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम तथा नियमों के अनुसार चुनाव संपन्न कराने के गुर सिखाए।
एकबाल ने प्रशिक्षण के बीच बीच में सवाल जवाब का दौर जारी रखते हुए कार्यक्रम को रुचिकर बनाए रखा। सभी मास्टर ट्रेनर भी छात्र की तरह पूरी तन्मयता से उनकी बातों से स्वयं को लाभान्वित करते रहे।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए अभ्यर्थी की अर्हता क्या होगी। किन आधार पर कोई अनहर्त किया जा सकता है। नाम निर्देशन की प्रक्रिया किस दिन शुरू होती है। प्रेस नोट, अधिसूचना और सूचना का प्रकाशन में क्या अंतर है।
अधिसूचना के कितने दिनों पूर्व प्रेस नोट जारी किया जाता है। आम चुनाव और उप चुनाव में अधिसूचना कौन जारी करता है। निर्वाचन प्रक्रिया की समाप्ति तिथि क्या है। अभ्यर्थी के आयु की गणना किस दिन को आधार मानकर की जाती है। सूचना का प्रकाशन में आरओ समय, स्थान, तिथि व संवीक्षा आदि का ब्योरा कब देते हैं। नाम निर्देशन के लिए कौन सा प्ररूप है।
शपथ किस प्ररूप में जमा करते हैं। नाम निर्देशन के समय राजनीतिक दल और स्वतंत्र प्रत्याशी के लिए प्रस्तावक की संख्या कितनी होती है। सामान्य और अनु.जाति/जन जाति के प्रत्याशी के लिए नामांकन शुल्क कितनी निर्धारित है। उसे किन माध्यम से जमा करते हैं।
संविक्षा कब की जाती है। अभ्यर्थिता स्वीकृत और अस्वीकृत करने के आधार क्या क्या हैं। नाम वापसी कब की जा सकती है। सिंबल एलॉटमेंट के लिए कौन से मानक तय हैं। चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थियों की सूची कब जारी की जाती है। चुनाव के लिए मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट क्या है।
संपति विरूपण निवारण अधिनियम, लाउडस्पीकर अधिनियम, वोटर वाहन अधिनियम, मिसयूज ऑफ एनिमल्स, एक्सप्लोजन आदि में क्या वर्जनाएं हैं। बलनेरेबिलिटी मैपिंग कैसे की जाती है। क्रिटिकल बूथ कैसे निर्धारित किए जाते हैं। मतदाताओं को प्रभावित करने वाले कौन से कारक होते हैं जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं पर उन्होंने विस्तार पूर्वक और उदाहरण के साथ समझाया।
चुनाव व्यय पर निगरानी विषय के दूसरे सत्र में अवर निर्वाचन पदाधिकारी अखलाक ने चुनाव व्यय की निगरानी विषय पर विस्तार से समझाया। लोक सभा के लिए अभ्यर्थी के व्यय की अधिकतम सीमा 95 लाख कर दिए जाने की उन्होंने जानकारी दी।
आरओ द्वारा व्यय कोषांग गठित करने तथा जिला क्रय समिति द्वारा सामग्रियों के दर निर्धारण आदि के बारे में बताया। इस अवसर पर सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी तथा 90 मास्टर ट्रेनर उपस्थित थे।
129 total views, 2 views today