समाज में जागरूकता से ही आत्महत्या पर रोक संभव-प्राचार्य
आत्महत्या के कारणों को जानना जरूरी-डॉक्टर प्रशांत
एस. पी. सक्सेना/बोकारो। विश्व आत्महत्या रोकथाम सप्ताह को लेकर 14 सितंबर को बोकारो जिला के हद में बेरमो प्रखंड के जारंगडीह स्थित के. बी. कॉलेज में आत्महत्या के कारण, निवारण एवं जागरूकता विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार में कॉलेज के प्राचार्य सहित सदर अस्पताल बोकारो के मनोचिकित्सक प्रशांत कुमार मिश्रा आदि ने आत्महत्या के कारणों तथा उसके रोकथाम के उपाय पर प्रकाश डाला।
के. बी. कॉलेज जंतु विज्ञान विभाग सभागार में मनोविज्ञान विभाग तथा आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित आत्महत्या निवारण एवं जागरूकता सेमिनार के अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर केपी सिन्हा ने कहा कि बेरमो कोयलांचल का यह पहला महाविद्यालय है जहां यह सेमिनार आयोजित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि बच्चों पर होने वाले बड़े खर्च के बदले में अभिभावकों की अपेक्षा उनके प्रति अधिक होती है। बच्चे अभिभावकों की अपेक्षा पर खड़ा नहीं उतरते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चे आत्महत्या करते हैं, इसलिए अभिभावकों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। समाज में जागरूकता से ही आत्महत्या पर रोक संभव होगा।
उन्होंने शायराना लहजे में कहा कि कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो। प्राचार्य ने कहा कि कई शतक पूर्व एक कवि ने कहा भी है कि नर हो न निराश हो, जग में रहकर कुछ काम करो यह समाज के लिए आज भी प्रेरणादायक है। उन्होंने कॉलेज में स्कील डेवलपमेंट के लिए एक संस्था से एमओयू करने की बात कही, ताकि बच्चे पढ़ाई के अलावा विभिन्न व्यवसायिक क्षेत्र का प्रशिक्षण प्राप्त कर आर्थिक उन्नति कर सकेंगे।
उन्होंने अंत में कहा कि मन को मजबूत रखो सब अच्छा होगा। सदर अस्पताल बोकारो के मनोचिकित्सक व् सेमिनार के मुख्य अतिथि डॉक्टर प्रशांत कुमार मिश्रा ने मॉनिटर पर आत्महत्या के कारणों तथा उसके निवारण को लेकर दर्शाये गए बिंदुओं की विस्तृत जानकारी दी। साथ हीं कहा कि व्यक्ति भावावेश में खुद को हानि पहुंचाने का प्रयास करता हैं, यह आत्महत्या का प्रारंभिक प्रवृत्ति है।
इसकी रोकथाम समय रहते करने से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने बताया कि एक आंकड़े के अनुसार विश्व में प्रत्येक तीन में एक भारतीय आत्महत्या करते हैं। यह बहुत ही दु:खद पहलू है। उन्होंने उपस्थित छात्रों, अभिभावकों तथा व्याख्याताओं से समाज में किसी के साथ आत्महत्या की स्थिति उत्पन्न होने पर टोल फ्री नंबर 14416 पर संपर्क करने की अपील की, ताकि समय रहते सरकारी स्तर पर आत्महत्या करने वालों को सहायता पहुंचाई जा सके।
जिससे आत्महत्या के लिए प्रेरित महिला अथवा पुरुष की जान बचाई जा सके। उन्होंने कहा कि आत्महत्या करनेवाले को 20 सेकेंड से दस मिनट तक ध्यान देने से वह इंसान आत्महत्या करने से बच सकता है।
सहायक प्राचार्य डॉ गोपाल प्रजापति ने कहा कि आत्महत्या समाज के लिए एक कोढ के समान है। इसे दूर करना और इसका निवारण हम सभी का दायित्व है। उप प्राचार्य प्रोफेसर लक्ष्मी नारायण राय ने आत्महत्या को गंभीर विषय बताते हुए कहा कि जब तक हम नहीं बदलेंगे समाज नहीं बदलेगा। उन्होंने कहा कि आत्महत्या आज मानव समाज के लिए चिंता का विषय है। इसपर सभी को चिंतन मनन करने और इसकी रोकथाम के लिए समाज में लगातार जागरूकता तथा प्रचार प्रसार जरूरी है।
कॉलेज के मनोविज्ञान के व्याख्याता डॉ प्रभाकर कुमार ने कहा कि बच्चे, अभिभावकों तथा शिक्षकों के लिए इस विषय को लेकर जागरूकता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आत्महत्या का प्रमुख कारण व्यक्ति में तनाव उत्पन्न होना है। यह पारिवारिक, शैक्षिक, सामाजिक स्तर, कार्य से संबंधित, व्यावसायिक अथवा आर्थिक कारणों से हो सकता है।
उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में कई उच्च श्रेणी के अधिकारी वर्ग द्वारा आत्महत्या करने की खबरें देखी गयी हैं। यह चिंता का विषय है। इसका सबसे बड़ा कारण आज व्यक्ति का अकेलापन भी है। ऐसी स्थिति में समाज को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
आईक्यूएसी समन्वयक डॉ अरुण कुमार राय महतो ने कहा कि विश्व में 46 लाख लोग प्रति वर्ष आत्महत्या करते हैं। यह सामाजिक स्तर पर भी उत्पन्न किया जाता है। उन्होंने कहा कि मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने से आत्महत्या पर रोक लगाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज आत्महत्या का कारण प्रतियोगिता भी है।
उन्होंने कहा कि मन से हारे हार है मन को जीते जीत, इसलिए आत्महत्या की रोकथाम के लिए मन पर संतुलन जरूरी है।
सेमिनार का संचालन कॉलेज की व्याख्याता नीलिमा पूर्णिमा तिर्की तथा धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज के कार्यालय अधीक्षक रविंद्र कुमार दास ने किया।
इस अवसर पर बोकारो से आए छोटेलाल के अलावा डॉ आर पी सिंह, डॉक्टर अलीशा वंदना लकड़ा, डॉक्टर साजन भारती, प्रोफेसर नितिन चेतन तिग्गा, प्रोफेसर मधुरा केरकेट्टा, डॉ बासुदेव प्रजापति, डॉक्टर विकास कुमार, प्रोफेसर मनोहर मांझी, प्रोफेसर पी पी कुशवाह, प्रोफेसर संजय कुमार दास के सहित कार्यालय कर्मी रवि कुमार यादबिंदु, हरीश नाग, पिंकू झा, आदि।
दीपक कुमार, सदन राम, नंदलाल राम, मोहम्मद शाहिद, शिव चंद्र झा, बालेश्वर यादव, राजेश्वर सिंह, संतोष राम, पुरुषोत्तम चौधरी के अलावा कॉलेज के सैकड़ो छात्र-छात्राएं आदि उपस्थित थे। सेमिनार के सफल आयोजन में कॉलेज की महिला पिउन आशा देवी तथा राजेश कुमार सिंह का सराहनीय योगदान रहा।
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