हमारा धर्म-दर्शन पुनर्जन्म को मानता है-रामानुजाचार्य गुप्तेश्वर पांडेय

संत नारायण स्वामी अपनी वाणी से कर रहे हैं अमृत वर्षा

अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में हरिहरक्षेत्र सोनपुर स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष सह सेवानिवृत बिहार के डीजीपी जगद्गुरु रामानुजाचार्य गुप्तेश्वर पांडेय (आई पीएस) एवं उनके द्वारा आमंत्रित विद्वान संत नारायण स्वामी की संयुक्त रूप से यहां मंदिर के सत्संग भवन में चल रहे प्रवचन तथा आध्यात्मिक कथा से हर रोज बुद्धिजीवी वर्ग के साथ-साथ आमजन भी लाभांवित हो रहे हैं।

सोनपुर के सत्संग भवन में चल रहे कार्यक्रम में स्रोताओं की संख्या हर रोज निरंतर बढ़ती जा रही है। इसी क्रम में 2 अगस्त को मंद-मंद मुस्कान के साथ सुन्दर, सुललित तथा सारगर्भित शब्दों के साथ संत नारायण स्वामी महाराज पुनर्जन्म की सिद्धि की अमृत वाणी से श्रोताओं पर अमृत वर्षा की।

उनकी बातों को विस्तारित करते हुए जगत गुरु गुप्तेश्वर पांडेय कहते हैं कि हमारा धर्म, दर्शन पुनर्जन्म को मानता है। ईसाई, मुसलमान कहते हैं कि प्राणी एक बार ही पैदा होता है और एक बार ही मरता है। हम कहते हैं प्राणी बार-बार पैदा होता है और बार- बार मरता है।

इसका प्रमाण देकर पांडेय कहते हैं कि पैदा होते ही बच्चे के मुंह के होठों पर उसकी माता दूध पिलाने के लिये अपने स्तन को जैसे ही लगाती है, वैसे ही बच्चा होठों को चलाने लगता है तथा दूध पीने लगता है। उन्होंने कहा कि जो पूर्वजन्म नहीं मानते, वे बतायें कि वह बच्चा तो पहले कभी पैदा हुआ नहीं तो उसे होंठ हिलाना किसने सिखाया। यह ट्रेनिंग किसने दी? पूर्वजन्म न मानने वालों के यहां इसका कोई उत्तर नहीं है।

जगतगुरु रामानुजाचार्य गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि गाय-भैंस के बच्चे पैदा होते ही हाइजम्प, लौंग- जम्प करने लग जाते हैं। आप बताएं कि उनको इस प्रकार की ट्रेनिंग कौन देता है? मछली के बच्चे को, गाय- कुत्ते आदि के बच्चे को तैरना किसने सिखाया? यदि कहें नेचर ने तो मनुष्य के बच्चे को जन्म लेते ही हाई जम्प, लौंग जंप लगाना, तैरना और उड़ना उस नेचर ने क्यों नहीं सिखाया?

पांडेय कहते हैं कि हमारा धर्म बताता है कि जन्म-जन्मांतर, युग- युगांतर, कल्प कल्पान्तर से हम पैदा होते चले आ रहे हैं। अनन्तानन्त जन्म एक जीव लेता है। उन सब जन्मों में जो कर्म करता है, उसके अनुसार कोई जीव मनुष्य बनता है। कोई पशु पक्षी बनता है। कोई देवता बनता है। कोई देवता बनता है कोई यक्ष तो कोई किन्नर। कोई राक्षस तो कोई भूत प्रेत तथा गंधर्व बनता है।

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