पटना के प्रेमचंद रंगशाला में क्रांतितीर्थ प्रतियोगिता का समापन

एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई को बिहार की राजधानी पटना के प्रेमचंद रंगशाला में क्रांतितीर्थ प्रतियोगिता का समापन किया गया।

प्रायोजित सोशल एंड कल्चरल स्टडीज इंडिया एवं संस्कार भारती बिहार प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में क्रांतिधरा के गुमनाम बलिदानियों को नमन करने हेतु पटना जिला के क्रांतितीर्थ प्रतियोगिता में विविध प्रकार के प्रतियोगिता, संगोष्ठी एवं पुरस्कार वितरण राजेंद्र नगर स्थित प्रेमचंद रंगशाला के सभागार में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर आयोजित प्रतियोगिता में किशोर, युवा एवं सामान्य श्रेणी वर्ग के विविध प्रतियोगिता में 22 स्कूलों, 6 कॉलेज, 4 कोचिंग संस्थान सहित कुल 42 संस्थानों के तीन हजार छात्रों ने भाग लिया।
प्रतियोगिता के पश्चात स्वतंत्रता आंदोलन में मगध भूमि विषय पर केंद्रित संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर विश्व संवाद केंद्र के संपादक संजीव कुमार ने पटना केंद्रित बटुकेश्वर दत्त के प्रसंग का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उस समय मछुआ टोली स्थित दुर्गा मंदिर क्रांतिकारियों के बम बनाने का गढ़ हुआ करता था।

संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्विद्यालय रांची के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य, अध्यक्ष व् सदस्य दधीचि देहदान समिति पवन केजरीवाल, आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रख्यात लोकगायिका डॉ नीतू नवगीत, गुमनाम शहीद के लेखक उत्कर्ष आनंद, भारत वार्ता के संपादक ऋषिकेश नारायण सिंह, भावना शेखर, संस्कार भारती पटना के कार्यकारी अध्यक्ष पंकज कुमार आदि उपस्थित थे।

क्रांतितीर्थ प्रतियोगिता समारोह में प्रख्यात लोक गायिका रंजना झा, नीतू कुमारी नूतन, पल्लवी विश्वास, सुदीपा घोष समेत अन्य दर्जनों विशिष्ट जन उपस्थित थे। उक्त जानकारी कलाकार साझा संघ के सचिव एवं चर्चित टीवी कलाकार, रंगकर्मी मनीष महीवाल ने दी।

इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक जितेंद्र चौरसिया ने परिणाम की घोषणा की। जिसमें समूह गायन मे प्रथम पुरस्कार सिस्टर निवेदिता बालिका विद्यालय, द्वितीय केशव विद्या मन्दिर, तृतीय सिमेज कॉलेज के अलावे नगर के कुछ प्रमुख संस्थानों जैसे मदर इंटरनेशनल, द त्रिभुवन, टीपीएस कॉलेज, लोयला हाई स्कूल, मगध महिला कॉलेज के प्रतिभागियों ने पुरस्कार बटोरा।

इस अवसर वक्ताओं द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पटना सचिवालय गोलीकांड पर विशेष जानकारी देते हुए बताया गया कि इस दौरान आंदोलनकारियों द्वारा पटना सचिवालय पर तिरंगा फहरा दिया गया।

कहा गया कि अंग्रेजों के विरुद्ध अगस्त क्रांति में 11 अगस्त 1942 को गोरे पुलिस की भयंकर गोलीबारी से भी क्रांतिकारियों के कदम नहीं रुके। जब एक गिरता तो दूसरा जमीन पर गिरने से पूर्व झंडा उठा लेता था। पटना सचिवालय पर तिरंगा फहराते हुए 7 नौनिहाल छात्र घटनास्थल पर ही शहीद हो गए थे। साथ हीं लगभग 25 रणबांकुरे गम्भीर रूप से घायल हुए।

इस दौरान शहीद होनेवालो में उमाकान्त प्रसाद सिन्हा, पिता रामकुमार सिन्हा, ग्राम-नरेन्द्रपुर, डाकघर हुसेनगंज, थाना-दरौली, जिला-सारण (राममोहन राय सेमिनरी की 11 वीं कक्षा का छात्र), रामानन्द सिंह, पिता लक्ष्मण सिंह, ग्राम-शहादत नगर, थाना-मसौढ़ी, जिला-पटना (राममोहन राय सेमिनरी पटना की 11 वीं कक्षा का छात्र), सतीश प्रसाद झा, पिता जगदीश प्रसाद झा, ग्राम-खड़हरा, थाना- बाँका, जिला – भागलपुर (पटना कॉलेजिएट स्कूल की 11वीं कक्षा का छात्र), जगपति कुमार, आदि।

पिता सुखराज बहादुर, ग्राम-खराठी, थाना- ओबरा, जिला-गया (बी. एन. कॉलेज के द्वितीय वार्षिक श्रेणी का छात्र), देवीपद चौधरी, पिता देवेन्द्र नाथ चौधरी, ग्राम-जमालपुर, थाना- विश्वनाथ, जिला-सिलहट (मिलर हाई स्कूल के 9वाँ क्लास का छात्र), राजेन्द्र सिंह, पिता शिवनारायण सिंह, ग्राम- बनवारीचक थाना- सोनपुर, जिला-सारण (पटना हाई स्कूल के 11वीं कक्षा का छात्र) तथा रामगोविन्द सिंह, पिता देवकी सिंह, ग्राम- दशरथ, थाना-फुलवारी, जिला-पटना (पुनपुन हाई स्कूल की 11वीं कक्षा का छात्र) शामिल थे।

बताया गया कि 11 अगस्त के सचिवालय गोली कांड में छात्रों की शहादत ने प्रान्त भर में आजादी की लड़ाई में एक नई जान डाल दी। उससे जो लपटें उठी, मानो भारत के आत्मनिर्णय का अधिकार हासिल करने के मार्ग में जो भी बाधाएँ अथवा बाधक थीं उन्हें भस्मसात् कर देनेवाली थीं। सचिवालय के फाटक पर शहीद होनेवाले छात्र वस्तुतः करो या मरो के प्रतीक बन गये। उनसे प्रेरणा लेकर आजादी की लड़ाई में असंख्य नौजवान कूद पड़े।

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