एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। आगामी 28 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में खतियान पर आधारित स्थानीय एवं नियोजन नीति वाली डोमिसाइल पाॅलिसी और आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने वाला बिल दोबारा लाने की तैयारी करें हेमंत सोरेन सरकार।
उक्त बातें 26 जुलाई को झारखंड बचाओ मोर्चा के केंद्रीय संयोजक सह झारखंडी सूचना अधिकार मंच के केंद्रीय अध्यक्ष पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईमेल पत्र भेजकर कहीं।
नायक ने कहा कि पिछले साल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर सरकार ने जो दोनों बिल पारित कराए थे। लेकिन, राज्यपाल ने एक सोची समझी साजिश के तहत मंजूरी नहीं दी थी। उन्होंने एक-एक कर दोनों विधेयको को संवैधानिक प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ बताते हुए लौटा दिया था। यह झारखंडी समाज के हितों के विरुद्ध था।
नायक ने कहा कि दोनों लंबित विधेयको को लेकर की गई आपत्तियों पर हेमंत सरकार विधिक परामर्श ले। साथ हीं इसे आधार बनाकर नए सिरे से दोनों विधेयक को मजबूती के साथ लाने की तैयारी करे, ताकी झारखंडी हितों की रक्षा की जा सके। उन्होंने कहा कि दोनों विधेयक झारखंडी समाज के लिए जीवन मरण, अस्तित्व और विकास तथा पहचान का प्रश्न है, जिसे छोड़ा नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार इस बार 1932 के खतियान की बात ना कर सिर्फ खतियान आधारित स्थानीय एवं नियोजन विधेयक को तत्काल झारखंड के सभी पदो औऱ सेवा की रिक्तियों में आरक्षण संशोधन विधेयक को इस बार तमिलनाडू आरक्षण के तर्ज पर सभी पहलुओं पर विधिक परामर्श लेकर ही दोनों विधेयकों को ध्वनी मत से पारित कराने का काम मजबूती से करे।
नायक ने कहा की दोनों विधेयक पर गंभीरता पूर्वक समीक्षा करें औऱ यह देख ले कि यह संविधान के अनुरूप है या नहीं। यह भी समीक्षा करने की आवश्यकता है, कि विधेयक से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना तो नही हो रही है। इसलिए इस बार कोई कोताही किंतु परंतु नहीं की जानी चाहिए।
ठोक बजाकर दोनों विधेयको को इसी सत्र में पारित कराने पर जोर दिया जाना चाहिए। ताकि वर्षों से झारखंडी समाज के सपनों और उनके भावनाओं को पूरा किया जा सके तथा राज्य में पिछड़े वर्गों को 27 प्रतिशत अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति को 28 प्रतिशत आरक्षण देने पर इन वर्गों का चहुमुखी समग्र विकास होगा। इससे आने वाले दिनों में सभी रिक्तियों में इनकी हिस्सेदारी तथा पूर्ण रूप से भागीदारी होगी।
जिससे झारखंड मुक्ति मोर्चा को आने वाले चुनाव में इसका लाभ मिलेगा, अन्यथा 2024 के चुनाव में हेमंत सोरेन को जाना सुनिश्चित है। इसलिए मुख्यमंत्री सोरेन इस बार नहीं चुके। उन्होंने कहा कि झारखंडी समाज को जो चुनावी वादा किया गया था, उस वादा को पूरा करने का काम करे।
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