रंग -बिरंगे लिबासों में थिरकते दिखे युवक और युवतियां
मुश्ताक खान/मुंबई। चेंबूर कैंप में श्रद्धा की देवी दशा माता की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई। बुधवार को मूसलाधार बारिश के बावजूद इस यात्रा में सैकड़ो महिला -पुरुष भक्त शामिल हुए। देवी पूजक समाज द्वारा नित्यानंद बाग सोसायटी के कला केंद्र से निकाली गई शोभा यात्रा विजय नगर स्थित दशा माता मंदिर पहुंची जहां भक्तों ने विधिवत पूजा अर्चना की। दशा माता की शोभा यात्रा में महिला एवं पुरुषों के अलावा बड़ी संख्या में युवक और युवतियों ने हिस्सा लिया।
इस यात्रा में रंग -बिरंगे लिबासो में युवक, महिलाएं और युवतियां झूमते नाचते दशा माता मंदिर पहुंच कर माता की जय जय कार की, इससे पूरा परिसर भक्तिमय हो गया। देवी पूजक समाज के अध्यक्ष सुनील दिपक गोरवा, उपाध्यक्ष राजेश बच्चू कंजिया और खजांची उत्तम बाबू गोरवा के नेतृत्व में भंडारा का भी आयोजन किया गया। जहां सैकड़ों श्रद्धालुओं ने स्वादिष्ट आहार का स्वाद लिया।
मिली जानकारी के अनुसार चेंबूर के आरसी मार्ग पर स्थित नित्यानंद बाग के कला केंद्र से देवी पूजक समाज द्वारा निकाली गई दशा माता की शोभा यात्रा में शामिल सैकड़ों श्रद्धालुओं का कारवां विजय नगर स्थित मंदिर पहुंच कर पूजा अर्चना में लीन हो गए। देवी पूजक समाज के अध्यक्ष सुनील दिपक गोरवा ने बताया कि सनातन धर्म की पौराणिक मान्यताऒं के अनुसार विवाहि महिलाएं पति और परिवार की सलामती के लिए दशा माता का व्रत धारण करती हैं।
प्राचीन परंपराओं के अनुसार इस दिन पीपल के पेड़ का सच्ची श्रद्धा से पूजन करती हैं। पूजन के बाद नल दमयंती की व्रत कथा का श्रवण किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इस दिन झाड़ू की खरीददारी करना भी शुभ माना जाता है। व्रत धारण करने वाली महिलाएं एक वक्त भोजन का धारण करती हैं। खास बात यह है कि, उपवास तोड़ते समय किये जाने वाले भोजन में नमक का प्रयोग बिलकुल नहीं किया जाता हैं।
गौरतलब है की चैत्र महीने की दशमी तिथि को सनातनी हिन्दू महिलाओं द्वारा इस व्रत को रखा जाता हैं। इनमें घर की सुहागन महिलाएं मंगल कामना के लिए दशा माता व्रत रखती हैं, दशा माता पूजा में कच्चे सूत का 10 तार का डोरा, जिसमें 10 गठानें लगाते हैं, लेकर पीपल की पूजा करती हैं। व्रत की पूजा के समय कथा का वाचन अवश्य करना चाहिए।
दशा माता की कथा प्राचीन समय के एक राजा नल और रानी दमयंती से जुड़ी है। बहरहाल चेंबूर में करीब चार दशकों से दशा माता की शोभा यात्रा परंपरिक रूप से निकली जाती है। इस शोभा यात्रा में कीर्तन धीरज गोरावा, विनोद वेल्सी सरोलिया, वासन राजकोटिया, मनोज गोरव, श्यामजी बहादुर, उमेश गोरव, अरुण सोवासिया और अरविन्द सोवासिया आदि भक्त मौजूद थे।
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