भक्तों ने किया बाबा हरिहरनाथ का भव्य श्रृंगार दर्शन
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। भारत के सप्त महाक्षेत्रों में से एक ख्याति प्राप्त सारण जिला के हद में सोनपुर हरिहरक्षेत्र स्थित बाबा हरिहरनाथ मंदिर में 16 जुलाई की शाम हजारों भक्तों ने बाबा हरिहरनाथ का भव्य श्रृंगार दर्शन किया। भक्तगण आरती-पूजन में भी शामिल हुए और महाप्रसाद ग्रहण किया।
इस समय बाबा हरिहरनाथ मन्दिर की खूबसूरती देखते ही बनती है। पूरा मंदिर परिसर व धर्मशाला रोशनी से जगमग कर रहा है। यहां मंदिर में भक्त और भगवान दोनों हरिहरमय यानी एक दूसरे से भावनात्मक रुप से जुड़ जाते है। अपने आप में यह बिहार का एक अनोखा मंदिर है, जहां श्रावण माह में भगवान शिव के जलाभिषेक के साथ भक्तगण भगवान श्रीहरि विष्णु को भी नमन किए बिना नहीं हटते।
एक साथ हरि और हर की स्थिति से भक्तों को एक ही जगह पर हरि और हर का दर्शन हो जाता है। देश और दुनिया को यहां से मिलती है हिन्दू धर्म में साम्प्रदायिक सौहार्द की अनोखी झलक। यहां आने वाले भक्त हरि और हर की एकता से राष्ट्र की एकता व अखंडता के लिए संकल्प का इससे बढ़िया स्थान और किसी स्थान को नहीं मानते।
मंदिर के गर्भगृह में हैं भगवान श्रीविष्णु का विग्रह एवं शिवलिंग
इसी मन्दिर के भीतर पालन एवं संहार के महादेवों भगवान श्रीहरि विष्णु (हरि) की प्रतिमा तथा भगवान भोले शंकर (हर) का शिवलिंग प्रतिष्ठित है। शिव-लिंग की पौराणिकता, प्रचलन के संदर्भ में कोई विवाद नहीं है। वेदों में भी शिव-लिंगोपासना विख्यात है। स्कंद पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु ने लक्ष्मी सहित शिव-लिंग की पूजा की थी। शिव भक्त रावण की लिंग पूजा तो प्रसिद्ध है।
हरिहनाथ मंदिर में शिव लिंग स्थापित है। उनके निचले हिस्से में प्रस्तर का बना एक आधार, जिसे पोट या योनि कहते हैं। लिंग की आकृति (एक आकाश का)।योनि-स्थान प्रकट दृष्टिगोचर होता है। लिंग का शिरोभाग गोल है। शिव-लिंग के पीछे चबूतरे पर भगवान विष्णु की चतुर्भुज एक प्रस्तर खण्ड पर उत्कीर्ण है। उक्त प्रस्तर खंड भी उत्कृष्ट कल का नमूना है। भगवान विष्णु के दायें कसौटी के दो प्रस्तर स्तम्भ भी है। जो प्रकट करता है कि उक्त प्रस्तर खंड पर उत्कीर्ण है।
जिसमें चतुर्भुज विष्णु (अन्दर) निवास करते हैं। विष्णु का बायां हाथ उठा हुआ है, उसमें सुदर्शन-चक्र सुशोभित हो रहा है, जो विष्णु का आयुध भी है। दूसरा बायां हाथ नीचे की ओर झुका हुआ है, उसमें शंख है। जबकि दाये हाथ ऊपर वाले में मूसल अथवा गदा है। निचले दायें हाथ स्वाहा की मुद्रा में है अर्थात् हथेली खुली हुई है।
हथेली से ठीक सटे श्रीलक्ष्मी विराजमान हैं। उनके बायें हाथ में कमल पुष्प है जो ऊपर उठा हुआ है। हथेली के पिछले भाग से स्पर्श कर रहा है। विष्णु के इस हाथ में कमल नहीं है। वहीं, नीचे वाले बायें हाथ में शंख है इससे सटे नीचे वीणाधारिणी सरस्वती की खड़ी प्रतिमा है।
मंदिर में है सभी हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्ति स्थापित
इस मंदिर परिसर लघु मंदिरों से भरा अद्भुत और आकर्षक है। यहां मुख्य गेट के पास भीतर नवग्रह देवता का मंदिर है, जिसमें पूजा-अर्चना करनेवालों की भीड़ उमड़ रही है। देवी दुर्गा, देवी सरस्वती, देवी काली, देवी लक्ष्मी, देवी मनसा, भगवान शंकर, विष्णु, ब्रह्मा सहित अनेकानेक देवी-देवताओं की मूर्तियां लघु मंदिरों में स्थापित हैं बाबा हरिहरनाथ में। उनकी पूजा-अर्चना और आरती नियमित होती है। यहां पर गजेंद्र मोक्ष की भी प्रतिमा शोभायमान है।
क्या कहते हैं बाबा हरिहरनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक
बाबा हरिहरनाथ मंदिर के मुख्य अर्चक आचार्य सुशील चन्द्र शास्त्री बताते हैं कि श्रावण मास में बाबा हरिहरनाथ पर नित्य जलाभिषेक, पूजा-अर्चना और सात्विक भाव से आरती में शामिल होने वालों पर बाबा की कृपा बरसती है। उनके ऊपर आए संकटों का निवारण होता है।उन्होंने कहा कि सोमवारी पर जलाभिषेक की सारी तैयारी हरिहरनाथ मंदिर न्यास समिति की ओर से पूरी कर ली जा चुकी है।
भक्तों को जलाभिषेक में कोई कष्ट न हो, इसके लिए अर्घा के माध्यम से जलाभिषेक की व्यवस्था की गई है। जो बेहद कारगर है। इससे महिला भक्तों को भीड़ से बहुत राहत मिली है। प्रतिदिन श्रावण माह में संध्या आरती के बाद भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण होता है।
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