रंजन लाला/कसमार (बोकारो)। कसमार प्रखंड के हद में दुर्गापुर पंचायत में बना स्वास्थ्य उप केंद्र भूतों का डेरा रात को और दिन में मवेशियों का अड्डा बन गया है।
जानकारी के अनुसार लाखों रुपए की लागत से राज्य सरकार द्वारा यहां स्वास्थ्य उप केंद्र बनाया गया, लेकिन ग्रामीण सुदूर आदिवासी गरीबों का इलाज यहां मुनासिब नहीं हुआ।
बताया जाता है कि सरकार का जो आदेश था और विभाग को जो निर्देश दिया गया था कि पंचायतों में स्वास्थ्य सेवा का बेहतर इलाज का लाभ गरीब निरीह ग्रामीणों को मिले। इसके लिए स्वास्थ्य उपकेंद्र का निर्माण करवाया गया था, लेकिन वैसा कुछ भी नहीं हो सका दुर्गापुर पंचायत के इस स्वास्थ्य उपकेंद्र द्वारा।
वर्तमान में हाथी का दांत साबित हो गया है यह स्वास्थ्य उपकेंद्र। विभागीय लापरवाही के कारण तथा विभाग के द्वारा आज तक इसको अपने हैंड ओवर में ना लेकर और लिया भी तो किसी को जानकारी नहीं। आधा अधूरे कार्यों को छोड़कर संवेदक चला गया।
इस पर कितने बार उपायुक्त को स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा ग्रामीणों से मिली शिकायत भी लिखा गया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय पंचायत के मुखिया अमरेश कुमार महतो ने 2 जून को एक भेंट में कहा कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराते हुए कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि उक्त अस्पताल को चालू करवाया जाए ताकि रहिवासियों को इलाज कराने के लिए 10 से 12 किलोमीटर दूर जाना ना पड़े।
झारखंड सरकार की सोच हर गांव में चिकित्सा सेवा सुलभ मिले। इसके उलट यहां देखने को मिला। अभी भी स्थानीय रहिवासियों को दूर इलाज करवाने के लिए जाना पड़ता है। बेहतर स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने के कारण रांची बोकारो आदि जगहों में उन्हें जाना पड़ता है।
उक्त पंचायत के रहिवासियों का सपना था कि स्वास्थ सेवा पंचायत में बेहतर होगा, लेकिन यह स्वास्थ्य केंद्र जब से बना है तब से आज तक उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं खोला गया। बेहतर स्वास्थ्य सुविधा इस उप स्वास्थ्य केंद्र के माध्यम से मिलना बेकार साबित हो गया है। आज इसकी हालत यह हो गया है कि दिन में यह भूतिया दिखता है तो रात में मवेशियों का अड्डा।
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