गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। वैशाली जिला को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए स्वयं जिलाधिकारी ने मोर्चा खोल दिया है। इसका असर यह है कि भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे दो कर्मचारियों को सेवनिवृति के लिए मजबूर होना पर रहा है।
ज्ञात हो कि बिहार में पूर्ण शराब बन्दी कानून लागू होने के बाद बिहार सरकार को होने वाले राजस्व की नुकसान की भरपाई के लिये खनन, मोटर वाहन, पेट्रोल व् डीजल पर टैक्स में वृद्धि के साथ ही जमीन के खरीद बिक्री पर बेतहाशा टैक्स वसूली हो रही है। गत 10 वर्षों में सरकार की कार्यशैली की वजह से सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार भी बेतहासा बढ़ा है।
इसी कड़ी में देखा जाये तो वैशाली जिले के राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार राजस्व कर्मचारी से लेकर ऊपर तक है। वैशाली के जिलाधिकारी यशपाल मीणा जब से यहां का कार्यभार संभाला है, तब से वे रात दिन जिले के विकास कार्यो की निगरानी और कार्यालयों में घूसखोरी रोकने के लिये प्रयास कर रहे हैं। अब तक कई कर्मचारियों की शिकायत मिलने पर जांच कर दण्डित भी कर चुके हैं।
जानकारी के अनुसार 25 मई को जमाबंदी में हेरा फेरी करने का आरोप प्रमाणित होने पर जिलाधिकारी मीणा के द्वारा महुआ अंचल के राजस्व कर्मचारी शाह मोहम्मद एवं राघोपुर अंचल के राजस्व कर्मचारी ज्योतिंद्र चौहान के विरूद्ध कार्रवाई करते हुए अनिवार्य रूप से सेवानिवृत किया गया है। इन दोनों कर्मचारियों पर लगे आरोप की सक्षम स्तर से जांच कराई गई। आरोप प्रमाणित होने पर यह कार्रवाई की गई है।
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