लोकसेवा आश्रम में सूर्य एवं शनिदेव का दो दिवसीय वार्षिक महोत्सव संपन्न

सूर्य के आदित्य हृदय श्रोत से श्रीराम ने पायी थी रावण पर विजय-मौनी बाबा

अवध किशोर शर्मा/सोनपुर (सारण)। सारण जिला के हद में हरिहरक्षेत्र सोनपुर के सुप्रसिद्ध लोकसेवा आश्रम स्थित सूर्य एवं शनि मंदिर में 8 मई को दो दिवसीय वार्षिकोत्सव पूजन संपन्न हो गया। वार्षिकोत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालूगण शामिल होकर महाप्रसाद भोग प्राप्त किया।

इस मौके पर लोकसेवा आश्रम के व्यवस्थापक संत बाबा विष्णु उदासीन (मौनी बाबा) के मार्गदर्शन में भगवान सूर्य एवं शनिदेव का महाभिषेक किया गया। प्रातः कालीन एवं सांध्यकालीन पूजा एवं आरती में सैकड़ों भक्तों ने शिरकत की।

हवन यज्ञ के साथ वार्षिक पूजनोत्सव की समाप्ति के बाद महा भण्डारा आरंभ हो गया, जिसमें पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। इस वार्षिक पूजनोत्सव के मुख्य यजमान अनिल कुमार सिंह गौतम एवं सह यजमान हरिमोहन यादव थे। इस दौरान 24 घंटे का अष्टयाम संकीर्तन किया गया, जिसमें मुख्य यजमाम अनिल कुमार सिंह गौतम सहित बड़ी संख्या में भक्तगण मौजूद थे।

मालूम हो कि, बिहार में सूर्य मन्दिरों की शृंखला में सोनपुर स्थित लोकसेवा आश्रम सूर्य एवं शनि मंदिर की अपनी विलक्षण प्रतिष्ठा है। अपनी स्थापना व प्राण प्रतिष्ठा के एक वर्ष के भीतर ही इस मंदिर ने व्यापक लोक ख्याति प्राप्त कर ली है।

राज्य के राज्यपाल से लेकर डीजीपी एवं मंत्रियों ने भी यहां नतमस्तक होकर प्रकाश के देवता सूर्य एवं न्याय के देवता शनि देव से जगत कल्याण की कामना की है।गुरुनानक देवपुत्र जगद्गुरु उदासीनाचार्य श्रीचंद्र देवजी महाराज की परंपरा का यह परम पावन लोक कल्याणकारी पावन स्थान है सोनपुर का लोक सेवा आश्रम।

इस आश्रम के वर्तमान संत बाबा विष्णुदास उदासीन के मार्गदर्शन में वर्ष 2022 में सबलपुर बभनटोली निवासी अनिल सिंह”गौतम” (रांची) द्वारा आश्रम परिसर में भगवान सूर्यदेव एवं शनिदेव के मंदिरों का निर्माण कराया गया था। मंदिर निर्माण के उपरांत उसी वर्ष 8 मई को इन नवनिर्मित मंदिरों में सूर्य देव एवं शनिदेव की मूर्तियों की स्थापना व प्राण प्रतिष्ठा का कार्य संपन्न हुआ।

बिहार-झारखंड सहित कई प्रान्तों के साधु-संत, महात्मा एवं भक्तगण बड़ी संख्या में यहां आकर मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा समारोह की सफलता के साक्षी बने, जो एक इतिहास बन गया है। इस वर्ष भी बीते 7 मई को वार्षिकोत्सव-पूजनोत्सव आरंभ हुआ था।

यही वह आश्रम है जहां प्रतिवर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय स्तर के शास्त्रीय नृत्य, संगीत एवं वाद्य का कार्यक्रम होता रहा है, जिसके संरक्षक भारत रत्न से सम्मानित शहनाई वादक उस्ताद विस्मिल्लाह खां, पद्मश्री एवं पद्मविभूषण से सम्मानित तबला वादक पंडित किशन जी महाराज जैसे महान व्यक्तित्व के स्वामी संरक्षक के रुप में रह चुके हैं। इन सभी ने यहां अपनी कला का निःशुल्क प्रदर्शन किया है।

वाल्मीकि रामायण में है श्रीराम की सूर्य आराधना का वर्णन

इस मौके पर लोक सेवा आश्रम के व्यवस्थापक संत बाबा विष्णुदास उदासीन ने कहा कि मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने भी अगस्त्य मुनि रचित आदित्य हृदय श्रोत का जाप कर रावण पर विजय प्राप्त की थी। यह वाल्मीकि रामायण के युद्ध कांड में वर्णित है।

यह उस समय की बात है जब रावण से युद्ध लड़ते-लड़ते श्रीराम थक कर चिंतातुर मुद्रा में थे, तभी अगस्त्य मुनि ने श्रीराम को रावण पर विजय प्राप्ति के लिए आदित्य हृदय श्रोत पाठ द्वारा सूर्य आराधना का मंत्र प्रदान किया था। महज तीन बार मंत्र पढ़ने से इस मंत्र का प्रभाव झलकना शुरु हो जाता है।

उन्होंने कहा कि सूर्य जिन्हें विवस्वान, प्रकाश के विस्तारक (भास्कर) और विश्व के स्वामी (भुवनेश्वर) के रूप में जाना जाता है। इनकी पूजा रश्मिते नमः समुद्यते नमः, देवासुर नमस्कृताय नमः, विवस्वते नमः भास्कराय नमः, भुवनेश्वराय नमः से करने पर युद्ध में सभी शत्रुओं को श्रीराम ने जीत लिया।

उन्होंने कहा कि सूर्य एवं छाया पुत्र शनिदेव ने न्यायपीठ पर बैठकर सदैव न्याय किया। पक्षपात से दूर रहे।इसलिए उन्हें लोककल्याणकारी देवता के रुप में जाना जाता है। मौनी बाबा ने कहा कि संत- महात्मा, गुरुजन एवं माता-पिता की सेवा करना ही सबसे बड़ा धर्म है। अपनों से बड़ों का आदर करने से हमें जो सुख-शांति और आशीर्वाद मिलता है उसका हमारे जीवन में बहुत महत्व है।

वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में एक दैनिक अखबार के संपादक दीपक पांडेय, अजय कुमार, नित्यानंद सिंह, अधिवक्ता विश्वनाथ सिंह, अभय कुमार सिंह, सुनील यादव, ए के शर्मा, हरिमोहन यादव, सतन शर्मा, धर्मनाथ शर्मा, सन्नी कुमार सहित कई गणमान्य जनों की महत्वपूर्ण सहभागिता रही।

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