विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर विशेष
फिरोज आलम/जैनामोड़ (बोकारो)। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। यह काफी जोखिमभरा काम है। कई बार पत्रकारिता करते हुए पत्रकारों पर हमले हो जाते हैं। उक्त बातें विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर 3 मई को दीदीजी फाउंडेशन की संस्थापिका डॉ नम्रता आनंद ने बिहार की राजधानी पटना में कही।
डॉ नम्रता ने कहा कि अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर काम करने वाले पत्रकारों की आवाज को कोई ताकत न दबा सके, इसके लिए उन्हें स्वतंत्रता मिलना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर साल इस उद्देश्य के साथ 03 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की।
तब से आज तक 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। हर साल विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की एक थीम निर्धारित की जाती है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की इस साल 30वीं वर्षगांठ है।
वर्ष 2023 की थीम “Shaping a Future of Rights: Freedom of Expression as a Driver for All Other Human Rights,” विषय पर केंद्रित है, जो अन्य मानवाधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है।
डॉ नम्रता ने कहा कि यूनेस्को की ओर से हर साल 3 मई को गिलेरमो कानो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम प्राइज दिया जाता है। यह पुरस्कार ऐसे व्यक्ति अथवा संस्थान को मिलता है जिसने प्रेस की स्वतंत्रता के लिए सराहनीय कार्य किया हो। उन्होंने कहा कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस कई कारणों से महत्वपूर्ण है।
सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण यह लोकतंत्र, मानवाधिकारों और सतत विकास को बढ़ावा देने में एक स्वतंत्र मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है। यह दिन पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों के काम को स्वीकार करने और जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है, जो जनता को सटीक और विश्वसनीय जानकारी प्रदान करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकार अक्सर बड़े जोखिम और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हैं।
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