मुंबई। कांग्रेस के दिग्गज नेता गुरुदास कामत का निधन हो गया। बुधवार को जब गुरुदास कामत के दिल्ली में निधन की खबर मुंबई पहुंची, तो किसी को इस खबर पर भरोसा ही नहीं हुआ। आगामी लोकसभा चुनावों से कुछ महीनों पहले ही मुंबई में कांग्रेस के इतने कद्दावर नेता, जिसका अपार जनसंपर्क, विराट मित्र मंडल और गजब की संगठन क्षमता हो, उसका यूं अचानक चले जाना कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत बड़ा नुकसान है।
गुरुदास कामत मुंबई और कांग्रेस की राजनीति का एक ऐसा चेहरा था, जो 80 के दशक से अपनी एक अलग पहचान के साथ राजनीति कर रहा था। चुनाव लड़ रहा था, जीत रहा था। सरकार और संगठन के विभिन्न पदों पर काम कर रहा था और अगल-अलग तरह से पेश आ रही चुनौतियों से जूझ रहा था।
मुंबई से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में सक्रिय गुरुदास कामत मुंबई से पांच बार सांसद रहे। 1972 से छात्र राजनीति में आने के बाद अपने जुझारू व्यक्तित्व के कारण वह बड़ी तेजी से राजनीति की सीढियां चढ़ते चले गए। छात्र राजनीति में आए उन्हें महत चार साल ही हुए थे कि उन्हें मुंबई में एनएसयूआई का अध्यक्ष बना दिया गया। यहीं से कांग्रेस में उनकी पारी की शुरुआत हुई। इसके बाद उन्होंने पार्टी में संघर्ष करते वह तमाम मुकाम हासिल किया, जिन्हें पाने का सपना हर एक कार्यकर्ता करता है। वह मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष बने।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के पदाधिकारी और कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य रहे। 1984 में उन्होंने पहली बार मुंबई उत्तर-पूर्व लोकसभा सीट से चुनाव जीता और संसद में पहुंचे। 1991, 1998 और 2004 तक वह लगातार इस सीट से चुनाव जीतते रहे। 2009 में उन्होंने अपनी सीट बदली और मुंबई उत्तर पश्चिम से चुनाव लड़ा। इस बार भी वे चुनाव जीत गए। 2009 से 2011 तक वह केंद्र में मंत्री रहे।
साल 2014 की मोदी लहर में जब अच्छे-अच्छे नेता चुनाव हार गए, उसी दौर में कामत को भी हार का मुंह देखना पड़ा। इसी समय पार्टी में भी बहुत से बदलाव हुए। इनमें से कुछ को लेकर कामत पार्टी नेतृत्व से सहमत नहीं थे, इसलिए 2016 में उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया, लेकिन कांग्रेस से उनका नाता इतना गहरा था कि वह एक बार सब कुछ भूलकर 2019 की चुनावी तैयारियों में जुट गए थे।
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