अटल बिहारी के निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक

साभार/ नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का आज निधन हो गया। आज दिल्ली के एम्स अस्पताल में शाम 5.05 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। अटल बिहारी वाजपेयी को लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया था। 93 वर्षीय वाजपेयी को गुर्दा (किडनी) नली में संक्रमण, छाती में जकड़न, मूत्रनली में संक्रमण के बाद 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था।

उनके निधन की खबर के बाद पूरे देश में शोक की लहर है। बीजेपी नेता वाजपेयी 1996 में 13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री पद पर रहे और फिर 1998 से 2004 तक प्रधानमंत्री रहे थे। खराब स्वास्थ्य के चलते वह करीब एक दशक से ज्यादा समय से सक्रिय राजनीति से दूर रहे। केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद पूरे देश में 7 दिन का शोक घोषित किया।

बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी के स्वास्थ्य में बुधवार से तेजी से गिरावट आई थी। इससे पहले एम्स ने मेडिकल बुलेटिन जारी कर बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री की तबीयत काफी खराब हो गई है। इसके बाद गुरुवार सुबह दूसरे मेडिकल बुलेटिन में उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं होने की बात कही गई। इसके बाद से ही अटल को देखने के लिए एम्स में नेताओं का तांता लग गया।

तीन बार बने प्रधानमंत्री
बीजेपी के संस्थापकों में शामिल वाजपेयी 1996 से 1999 के बीच तीन बार पीएम चुने गए। वह पहली बार 1996 में प्रधानमंत्री बने और उनकी सरकार सिर्फ 13 दिनों तक ही रह पाई। 1998 में वह दूसरी बार प्रधानमंत्री बने, तब उनकी सरकार 13 महीने तक चली। 1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 वर्षों का कार्यकाल पूरा किया। 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले वह पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री थे।

वह 10 बार लोकसभा के लिए और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए। उनके जन्मदिन 25 दिसंबर को ‘गुड गवर्नेंस डे’ के तौर पर मनाया जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता का आलम यह था कि उनकी पार्टी ही नहीं विपक्षी नेता भी उनकी बातों को तल्लीनता से सुनते थे और उनका सम्मान करते थे।

2005 में लिया राजनीति से संन्यास
कभी अपनी कविताओं और भाषणों से लोगों को मंत्रमुग्ध करने वाले वाजपेयी स्वास्थ्य खराब होने के कारण सार्वजनिक जीवन से दूर हो गए थे। 2005 में उन्होंने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था और तब से वह अपने घर पर ही थे। अटल बिहारी वाजपेयी को कई वर्षों से बोलने और लिखने में भी तकलीफ होती थी। वह किसी को पहचान भी नहीं पा रहे थे।

2015 में सामने आई थी आखिरी तस्वीर
आखिरी बार उनकी तस्वीर साल 2015 में सामने आई थी जब भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उनके आवास पर जाकर उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था।

 


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