एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। नौवे थियेटरवाला नाट्योत्सव के पहले दिन 26 मार्च को वरिष्ठ रंगकर्मी सुमन कुमार, बिहार संगीत नाटक अकादमी के सहायक सचिव अरविन्द कुमार तिवारी, वरिष्ठ नाटककार हसन ईमाम, प्रवीण कुमार, मनीष महिवाल और रंग मार्च के निर्देशक मृत्युंजय शर्मा, सचिव नूपुर चक्रवर्ती की उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलित कर नाट्योत्सव का शानदार आगाज किया गया।
9वें थियेटरवाला युवा सम्मान से युवा रंगकर्मी रौशन कुमार को सम्मानित किया गया। हालांकि दूसरे प्रदेश में रहने की वजह से उनका सम्मान उनकी मां ने ग्रहण किया। तत्पश्चात् चित्रभिनय पटना द्वारा सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानी पर आधारित नाटक गौरी का मंचन किया गया।
इस नाटक का नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन यूरेका ने किया है। इसकी मुख्य भूमिका में कौशिक कुमार, शशांक कुमार, यूरेका, रूपाली मलहोत्रा आदि ने काम किया।
इस नाटक की कहानी उन क्रांतिकारियों की है, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में नहीं लिया गया। लेकिन इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होकर देश को आजाद करने के लिए लड़ाई लड़ी। सीताराम बाबू उन्हीं क्रांतिकारियों में से एक हैं, जिनसे गौरी को प्रेम हो जाता है।
यह कहानी की मुख्य कथावस्तु है। गौरी के पिताजी एक नायब तहसीलदार से उसका रिश्ता तय कर देते हैं। पर गौरी के मन से सीताराम को अपना पति मान कर अपना पूरा जीवन उनको समर्पित कर देती है।
नाटक गौरी के मंच पर राधा कृष्ण तांगेवाला के किरदार में शशांक कुमार, कुंती के किरदार में रूपाली मलहोत्रा, गौरी के किरदार में यूरेका, कहार सीताराम के किरदार में कौशिक कुमार, बेटी हेमा राज, बेटा अमन कुमार, पड़ोसन खुशबू कुमारी बनी है।
कहानी का सूत्रधार विक्रांत कुमार, पोस्टमैन, चपरासी, ग्रामीण तथा जलेबी वाला अभिषेक कुमार है, जबकि मंच से परे नेपथ्य में मंच निर्माण सुनील कुमार, पंकज कुमार, वस्त्र विन्यास अलका सिन्हा, रिबेका, सपना कुमारी, रंग वस्तु आशीष राज, वैभव दिव्यांशु, आयूष कुमार, प्रकाश परिकल्पना मृत्युंजय शर्मा, आदि।
संगीत दी एमफिफॉक्स प्रोडक्शन, रूप सज्जा अंजू कुमारी, मनोज मयंक, प्रस्तुति प्रभारी मिथिलेश प्रसाद, राज किशोर कुमार, शंभू किशोर शर्मा, संतोष कुमार, अच्युतानंद स्वामी, कहानी सुभद्रा कुमार चौहान, नाट्य रूपांतरण एवं निर्देशन यूरेका तथा रंग मार्च पटना के सचिव नूपुर चक्रवर्ती हैं।
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