मुश्ताक खान/मुंबई। सामाजिक समरसता और प्रेम के पावन पर्व है होली, सही मायनों में होली के दिन दिल खिल जाते हैं रंगों में रंग मिल जाते हैं। ऐसा चेंबूर के सिंधी सोसायटी के हरी कुंज के रहिवासियों का कहना है। होली के हुड़दंग में समाया हरीकुंज सोसायटी वन में बच्चे बूढ़े और जवान सभी ने रंग और गुलाल से एक दूसरे को आपसी भाई चारे और प्रेम का संदेश दिया।
चेंबूर, सिंधी सोसायटी स्थित हरी कुंज के चेयरमैन नवीन पारीख, सचिव वैभव पवार और कैशियर प्रशांत कोष्टी ने इस वर्ष के होली के आयोजन की रूप रेखा बनाई थी। इस अवसर पर चेयरमैन नवीन पारीख ने बताया कि कोरोनाकाल को छोड़ कर हमारे यहां हर साल सरकारी नियमों (Government regulations) को ध्यान में रखते हुए हंगामेदार होली महोत्सव मनाया जाता है।
गौरतलब है कि हरीकुंज वन के चेयरमैन नवीन पारीख ने बताया कि होली सनातन धर्म का एक प्रमुख त्यौहार है। जिसे हिन्दुओं के साथ अन्य धर्मों के लोग भी बड़े धूम-धाम से रंगों और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
होली के दिन सभी लोग एक दूसरे से मिलते जुलते हैं और एक दूसरे के घर जा कर नाचते- गाते और रंग लगाते हैं, होली के दिन पर लोग अपने घरों में अलग-अलग तरह के पकवानों को भी बनाते हैं। होली के अवसर पर कौन-कौन से पकवान बनाये जाते हैं।
भारत में बहुत से त्यौहार मनाये जाते हैं इनमें से एक होली का त्यौहार भी है। जिसे सभी लोग रंगों और गुलाल लगाकर मनाते हैं। पहले समय में होली को सिर्फ गुलाल और चन्दन लगा कर मनाया जाता था। वहीं सोसायटी के सक्रिय सदस्य एम एल मोटवानी (M L Motwani) ने बताया कि भारत में अलग-अलग जगहों पर होली अलग-अलग नाम से वृन्दावन की होली, काशी की होली, ब्रज की होली, मथुरा की होली प्रसिद्ध है।
होली के दिन सभी लोग अपने घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान बनाते हैं और मेहमानों को बुलाते हैं। होली के पहले दिन सभी लोग रात को एकत्र हो कर होलिका दहन करते हैं और डीजे लगा कर नाच गाना करते हैं। इसके दूसरे दिन सुबह से ही विभिन्न रंगों के साथ होली खेलने की परंपरा प्राचीन समय से चलती आ रही है।
249 total views, 1 views today