ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। विद्या विकास समिति झारखंड के तत्वाधान में चल रहे चार दिवसीय प्रांतीय प्रधानाचार्य सम्मेलन गिरिडीह के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर बरगंडा में संपन्न हो गया।
समापन समारोह का उद्घाटन गिरिडीह विधायक सुदीव्य कुमार सोनू, अखिल भारतीय मंत्री ब्रह्मा जी राव, विभाग संघचालक अर्जुन मिस्टकार, प्रदेश सचिव अजय कुमार तिवारी, उपाध्यक्ष डॉ सतीश्वर प्रसाद सिन्हा, अध्यक्ष संजय राजगढ़िया ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर पुष्पार्चन किया।
इस अवसर पर समिति सचिव डॉ पवन मिश्रा ने विधायक, कोषाध्यक्ष प्रभात सेठी तथा विभाग संघचालक को शॉल एवं पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया। अतिथि परिचय प्रधानाचार्य शिव कुमार चौधरी, मंच संचालन विभाग निरीक्षक नीरज कुमार लाल एवं धन्यवाद ज्ञापन विभाग निरीक्षक ओमप्रकाश सिन्हा ने किया।
इस अवसर पर वृत्त कथन रखते हुए प्रदेश सचिव ने बताया कि चार दिवसीय सम्मेलन में झारखंड प्रदेश से कुल 215 प्रधानाचार्यों की सहभागिता रही। बैठकों में विद्यालय व्यवस्था को बेहतर करने एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विस्तार से चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि हमें विश्वास है कि प्रधानाचार्य को शिक्षाविदों एवं विषय विशेषज्ञों का पाथेय विद्यालय के लिए वरदान साबित होगा।
प्रशिक्षण में प्राप्त पाथेय को सिंदरी, झुमरी तिलैया, पतरातू और कैरों के प्रधानाचार्य ने अनुभव कथन को साझा किया। यहां ब्रह्माजी राव ने कहा कि विद्या भारती भारतीय जीवन दर्शन आधारित शिक्षा व्यवस्था के लिए पहचानी जाती है।जिससे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हम सभी अग्रसर हैं। विधायक सोनू ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय दर्शन की सोच है।
विरोधाभास के बावजूद मेरा मानना है कि इस शिक्षा नीति का क्रियान्वयन होने से भारतीयता के भाव का विकास होगा। उन्होंने कहा कि गुरु की महिमा अत्यंत श्रेष्ठ है, जिन्हें मैं अपने शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। आप जैसे लोग ही समाज में चरित्र निर्माण करते हैं।
जिससे भारतीयता की पहचान पूरी दुनिया में वसुधैव कुटुंबकम की परिपक्वता को साकार करता है। सनातनी परंपरा को आप सभी आगे बढ़ाएं एवं वाहक बनें। आप सभी देश निर्माण कार्य में लगे हैं, जिसे निष्ठा पूर्वक करते रहेंगे। यही ईश्वर से प्रार्थना है।
अध्यक्षीय आशीर्वचन में डॉ सिन्हा ने कहा कि इस सम्मेलन में सभी विद्वत जनों का चिंतन मनन आप सभी के लिए लाभकारी रहेगा।सम्मेलन को सफल बनाने में सभी पूर्णकालिक एवं आचार्य- दीदी का सराहनीय योगदान रहा।
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