ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस कला संस्कृति प्रकोष्ठ की प्रस्तुति एक शाम देश के नाम

फिरोज आलम/जैनामोड़ (बोकारो)। गणतंत्र दिवस के अवसर पर बीते 26 जनवरी की संध्या ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) कला संस्कृति प्रकोष्ठ ने एक शाम देश के नाम वर्चुअल कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में कलाकारों ने देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत प्रस्तुति देकर उपस्थित जनों को भावविभोर कर दिया।

एक शाम देश के नाम” कार्यक्रम की परिकल्पना जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम कुमार, राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष पवन सक्सेना और प्रेम कुमार ने तैयार की। कार्यक्रम का संचालन जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय महासचिव शिवानी गौड़ एवं पवन सक्सेना ने की।

इस अवसर पर जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने तमाम अमन पसंद देशवासियों को गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुये कहा कि देश की स्वतंत्रता में कायस्थ समाज के महापुरूषों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।

आज हम गणतंत्र दिवस समारोह मना रहे हैं। इस समारोह को मनाने के लिए हमारे पूर्वजों ने कई बलिदान दिए हैं। संविधान संरचना में कायस्थ समाज ने अविस्मरणीय योगदान दिया है, जिन्हें कभी भुलाया नही जा सकता है। स्वतंत्रता सेनानियों के लंबें संघर्ष के बाद 26 जनवरी 1950 को हमारा नया संविधान लागू हुआ।

मौके पर जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने कहा कि आज हम आजाद देश में रह रहे हैं। आजादी से सांसे ले रहे हैं तो इसके पीछे बलिदानों की लंबी श्रृंखला है। उन बलिदानों में से बहुतों के बारे में तो हमें पता भी नहीं है। क्योंकि इतिहास में वो सही तरीके से दर्ज भी नहीं किये गए। इसलिए जरूरी यह है कि उनका इतिहास फिर से लिखा जाए।

संविधान संरचना में कायस्थ समाज की भूमिका पर चर्चा करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार आलोक अविरल ने कहा कि संविधान संरचना में देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद, सच्चिदानंद सिन्हा, आचार्य नंद लाल बोस, राम मनोहर सिन्हा और प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने उल्लेखनीय योगदान दिया है। उन्होंने सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता वीरों का कैसा हो बसंत की पंक्तिया सुनाकर श्रोताओं में देशभक्ति की भावना का संचार किया।

वहीं शिकागो से चंदन श्रीवास्तव ने भारत महान है, रांची झारखंड से अनिता रश्मि ने तिरंगे के साथ कविता पेश की। अहमदाबाद गुजरात से प्रदिप कुमार प्राश ने सरस्वती बंदना की और बलिदानों का सपना जब सच हुआ पेश कर श्रोताओं को भाव विभोर किया।

जीकेसी बिहार कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के अध्यक्ष दिवाकर कुमार वर्मा ने जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया और लखनऊ से जया श्रीवास्तव ने मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत गीत गाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।

जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव हैप्पी श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना है, शहीदों का जय हिंद बोले पेश की। जोधपुर राजस्थान से मधुबाला श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना नमन करूं मां शारदे, कविता वतन की, इस जमीं पर खूब उल्फत, भोपाल मध्यप्रदेश से मनीष बादल ने देखो सबको एक सा दोहा की पंक्ति सुनाकर समां बांध दिया।

मौके पर जीकेसी के ग्लोबल महासचिव अनुराग सक्सेना, ग्लोबल वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव, राष्ट्रीय संगठन सचिव शुभ्रांशु श्रीवास्तव, जीकेसी महिला प्रकोष्ठ की ग्लोबल संयोजक मीनु श्रीवास्तव मौजूद थी।

कार्यक्रम के वर्चुअल संचालन में आइटम टीम से डिजिटल-तकनीकी प्रकोष्ठ के ग्लोबल महासचिव सौरभ श्रीवास्तव और डिजिटल तकनीकी प्रकोष्ठ के राष्टीय अध्यक्ष नवीन श्रीवास्तव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। धन्यवाद ज्ञापन प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने दिया।

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