सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। सारंडा विकास समिति के नेतृत्व में मुखिया राजू सांडिल और मानकी लागुड़ा देवगम की संयुक्त अध्यक्षता में गंगदा पंचायत भवन में 23 जनवरी को विभिन्न गांवों के ग्रामीणों की बैठक हुई। बैठक में ग्रामीण रहिवासियों ने मोर्चा खोलते हुए पंचायत सचिव को हटाने की मांग की।
आयोजित बैठक में मुख्यतः दो मामलो पर चर्चा हुई। पहला पंचायत सचिव भोला नाथ महतो को ग्रामीणों ने गंगदा पंचायत के गांवों के विकास में सबसे बड़ा बाधक बताया। उसे तत्काल हटाने की मांग प्रशासन से की।
दूसरा यह कि उपायुक्त के आदेश के बावजूद लगभग 50 दिन के बाद भी गंगदा व अन्य पंचायतों के कई गांवों को आज तक विभिन्न खदानों के प्रभावित सीएसआर गांव में शामिल नहीं किया गया। इससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है।
बैठक में मानकी लागुड़ा देवगम व मुखिया राजू सांडिल ने बताया कि बीते 3 दिसम्बर को पश्चिमी सिंहभूम जिला उपायुक्त अनन्य मित्तल की अध्यक्षता में सेल की गुवा, किरीबुरु, मेघाहातुबुरु, चिड़िया और टाटा स्टील की विजय-दो लौह अयस्क खदान प्रबंधको, सारंडा विकास समिति, मुंडा-मानकी, एसडीओ व सीओ स्तर के पदाधिकारियों की बैठक हुई थी।
बैठक में उक्त खदानों के परिधि क्षेत्र के लगभग दो दर्जन से अधिक ऐसे गांव हैं जो सीएसआर क्षेत्र में शामिल नहीं किये गये हैं। इस वजह से खदान प्रबंधन वहां किसी प्रकार की सीएसआर योजनाओं का लाभ नहीं देती हैं। ऐसे गांवों का भौतिक सत्यापन कर विभिन्न खदान प्रबंधनों के सीएसआर सूची में डलवाया जायेगा।
ताकि इन गांवों का भी विकास सीएसआर के तहत प्रबंधन कर सके। इसको लेकर ग्रामीण पहले एसडीओ, अंचलाधिकारी व बीडीओ से मिलेंगे। उसके बाद पुनः उपायुक्त के पास मामले को रखेंगे। क्योंकि सीएसआर गांव की सूची में दर्जनों गांव को शामिल नहीं किया गया है। इससे स्वास्थ्य, शिक्षा समेत तमाम सुविधाओं से रहिवासी वंचित हो रहे हैं। इसका व्यापक नुकसान ग्रामीणों को हो रहा है।
बैठक में मंगल कुम्हार, मुंडा बुधराम सिद्धू, रामो सिध्दू, पंसस रामेश्वर चाम्पिया, भोंज चाम्पिया, उप मुखिया सादो चाम्पिया, सुनीता देवी, नीलमणी सांडिल, सुनीता बारीक, लक्ष्मी सांडिल, नीशा तांती, विमला देवी, चन्द्रबती दास, सुशीला नायक, सुकुरमुनी देवी, सिरमोती कुम्हार, मीनू दास, मरियम सिद्धू आदि उपस्थित थे।
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