फिरोज आलम/जोनामोड़ (बोकारो)। सामाजिक-सांस्कृतिक संस्था नवशक्ति निकेतन के तत्वाधान में 7 जनवरी को उर्दू के मशहूर शायर खान बहादुर नवाब सैयद मो. शाद उर्फ शाद अज़ीमाबादी की 96वीं पुण्य तिथि मनायी गयी। इस अवसर पर शाद अज़ीमाबादी पथ (लंगर गली हाजीगंज पटना सिटी स्थित उनकी मजार पर चादरपोशी की गई। इस अवसर स्मृति सभा व काव्यांजलि का आयोजन किया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि शाद राष्ट्र के गौरव हैं। उनकी स्मृति को जीवंत बनाने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ होकर काम करने की जरूरत है।
पटना की महापौर सीता साहू ने शाद अज़ीमाबादी को कालजयी शायर बताया और कहा कि उनकी स्मृति रक्षा हेतु समाज और सरकार को बहुत कुछ करने की जरूरत है।
कार्यक्रम का संचालन कमल नयन श्रीवास्तव ने किया और कहा कि शाद की नज़्मों समारोह की अध्यक्षता पूर्व जिला न्यायाधीश सैयद अकबर अली जमशेद ने कहा कि मुल्क का दिल धड़कता है।
कार्यक्रम का आगाज डॉ. कलीम आजिज की इन पंक्तियों से हुआ- आज बरसी है तुम्हारी आओ शाद। हम रयाकारो से भी मिल जाओ शाद। तुम बुझे और सारी महफिल बुझ गई, बज़्म उण्ही है जरा गरमाओ शाद। कौन समझेगा तुम्हें इस दौर में, बन गये है हम तो लक्ष्मण साव शाद।
कवयित्री डॉ नीलम श्रीवास्तव (गोपालगंज) एवं शायर डॉ कासिम खुर्शीद को शाद अज़ीमाबादी सम्मान तथा कवयित्री डॉ रूबी भूषण एवं शायर डॉ. ताहिरूद्दीन ‘ताहिर’ (मुजफ्फरपुर) को ‘साहित्य एवं समाज सेवा सम्मान से शॉल, प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाण पत्र देकर अतिथियों द्वारा अलंकृत किया गया।
इस अवसर पर कवयित्री डॉ. आरती कुमारी (मुफ्फरपुर) का उर्दू निदेशालय, बिहार द्वारा स्वीकृत गजल संग्रह ‘मुंतजिर है दिल’ का लोकार्पण किया गया।
बिहार शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद ईरशाद अली आज़ाद ने शाद को एक मुकम्मल शायर बताया और शाद की स्मृति को जीवंत बनाने की आवश्यकता बताई।
शाद के प्रपौत्र डॉ निसार अहमद, सैयद शकील अहमद एवं प्रपौत्री डॉ शहनाज़ फातमी ने सरकार से शाद की मजार को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने, उनकी स्मृति में स्मारक डाक टिकट जारी करने, शाद अज़ीमाबादी पार्क को अतिक्रमण मुक्त कराने तथा शाद अज़ीमाबादी पथ का शिलापट्ट लगाने की मांग की।
डॉ अकबर रजा जमशेद ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि हिन्दी और उर्दू जुबान को जाति और धर्म में नही बाँधा जा सकता।
इस अवसर पर वरिष्ठ कवयित्री डॉ आरती कुमारी की पंक्तियां ‘तुम आये याद हमेशा रौशनी की तरह, ये और बात कि मिलते हो अजनबी की तरह, तुम्हारी याद में सावन की तरह रोती हूँ न सूख जाएं ये आंखें किसी नदी कि तरह’ ने खूब तालियां बटोरी।
मौके पर यावर राशिद, डॉ कासिम खुशिंद, डॉ रूबी भूषण, डॉ ताहिररूद्दीन ‘ताहिर’, डॉ आरती कुमारी, एहसन राशिद, मधुरेश नारायण, प्रेम किरण, समीर परिमल, डॉ नीलम श्रीवास्तव और कमल किशोर वर्मा ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया।
इस अवसर पर बिहार अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष सरदार चरण सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। आरंभ में अतिथियों का स्वागत एहसान अली अशरफ ने किया तथा आभार ज्ञापन सैयद मुजफ्फर रजा ने किया।
कार्यक्रम में देवेन्द्र बहादुर माथुर, राजेश राज, राकेश कपूर, अनंत अरोड़ा, डॉ जावेद हयात, शरद कुमार जैन, सुनील कुमार, अभिषेक श्रीवास्तव, मनोज कुमार मिश्र, निधि मिश्रा, मो. जावेद, लल्लू शर्मा, हसन राशिद, मो. बसु, मो. हसीन, मो. मशरुल आलम, नायाब रहमान कादरी, राहुल भरतीया, राजकुमार भरतीया ने सकिय भूमिका निभाई।
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