एस. पी. सक्सेना/बोकारो। बोकारो जिला के हद में गोमियां प्रखंड के कथारा चार नंबर स्थित अंबेडकर पार्क में 3 जनवरी को देश की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जन्म जयंती का आयोजन किया गया। जयंती के अवसर पर कार्यक्रम का शुभारंभ बौद्ध धम्म सम्मेलन के साथ किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता छोटन राम, संचालन मदन रविदास तथा धन्यवाद ज्ञापन चीना लाल तुरी ने किया। यहां उपस्थित जनों ने बौद्धिक रीति रिवाज़ के साथ माता त्रिसंत पंचशील पाठ के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर उपस्थित जनों ने माता सावित्रीबाई फुले, संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, गौतम बुद्ध तथा धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया।
मौके पर उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि माता सावित्रीबाई फुले देश की प्रथम महिला शिक्षिका थी जिनका जन्म 3 जनवरी 1831 में महाराष्ट्र के भीमा कोरे गांव में हुआ था। उनका निधन 10 मार्च 1897 को हुआ। वे देश की प्रथम महिला शिक्षिका थी जिन्होंने महिला शिक्षा के अधिकार का शुरुआत एक जनवरी 1848 में किया।
उन्हें 1854 में सरकारी शिक्षक का दर्जा दिया गया। वक्ताओं ने कहा कि इतिहास के पन्नों में जिन्होंने शिक्षा का ज्योत जलाया है, समता स्वतंत्रता और बादशाहत का पाठ पढ़ाया है। इसी का परिणाम है कि आज महिलाएं शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में भी पुरुषो के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जा रही है।
वक्ताओं ने कहा कि बाबा साहेब ने कहा था कि हमें भी ज्ञान अर्जित करने का समान अधिकार है। हम ज्ञान से युद्ध लड़े, लाठी डंडे की जरूरत नहीं है। क्योंकि अगड़ी समाज ज्ञान से अब तक हम सभी को मात देता रहा है। हम भी उस ज्ञान को प्राप्त करें। यह मेरा अधिकार है। वक्ताओं ने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब ने हम सबको यह अधिकार संविधान में दिया है।
देश इतिहास से नहीं, धर्म से नहीं बल्कि संविधान से चलता है। वक्ता राजू रविदास ने कहा कि स्थानीय स्तर पर उन्हें जो पूजा-पाठ समारोह में तिरस्कृत करने का काम किया गया हैं उनका भला कभी नहीं होगा। वे समाज से इसका जवाब लेकर रहेंगे, चाहे कोई भी कीमत क्यों ना चुकाना पड़े।
मौके पर मानसी कुमारी, बॉबी बौद्ध, गंदौरी राम, राजू रविदास, चीनालाल तुरी, रमेश पासवान, राम प्रसाद राम, अनंत दास, छोटन राम आदि ने सावित्रीबाई फुले के जीवन चरित पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर उपरोक्त के अलावा रविंद्र बौद्ध, मदन रवि, चंदन कुमार, आनंद कुमार, राम प्रसाद, महेश रविदास, रेवत लाल, आदि।
सिराज अंबेडकर, राज कुमार, अमरजीत, मंजू देवी, सुमित्रा देवी, रेखा देवी, अनीता देवी, विश्नोई देवी, राधा देवी, सुधा देवी, मालती देवी, रीता देवी, रीना देवी, पुष्पा देवी, मानसी देवी, राखी कुमारी, धर्म बौद्ध सहित सौ के लगभग महिला-पुरुष श्रद्धालुगण आदि उपस्थित थे।
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