मेघदूत रेडियो लिस्नर्स क्लब बेरमो द्वारा उन्हें भावपूर्ण नमन
प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। भारतीय फिल्मोधोग के प्रख्यात पार्श्व गायक मोहम्मद रफी 98वीं जन्म जयंती पर याद किए गये। मो. रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को हुआ था। गायकी के क्षेत्र में इनका जलवा 35 वर्षों तक कायम रहा।
हालांकि कम उम्र में ही ये 31 जुलाई 1980 में ही हम सब से जुदा हो गए। बता दें कि, मो. रफी ने 21 भाषाओं के गानों को अपनी सुरीली आवाज से पिरोया है। रफी साहब ने अब तक 4516 गानों को अपनी आवाज दिया है, जिसमे 112 गैर हिंदी फिल्मी गाने शामिल है।
इतने सारे गानों के बारे में जानकारी देना संभव नहीं, लेकिन आज 24 दिसंबर है, इसलिए दिवंगत रफी साहब द्वारा गाये हुये 24 सुरीली व कर्णप्रीय गाने हम प्रस्तुत कर रहे हैं।
‘तुम मुझे यूं भुला न पाओगे (पगला कहीं का), पर्दा है पर्दा (अमर अकबर एंथनी), ये रात है प्यासी प्यासी (छोटी बहु), खिलौना जानकर तुमतो (खिलौना), ओ फिरकी वाली तू कल फिर आना (राजा और रंक), तेरी आंखों के सिवा (चिराग), देखा है तेरी आंखों में (प्यार ही प्यार), अरमा था हमे जिनका (औलाद), नफरत की दुनिया छोड़ तूं (हाथी मेरे साथी), बहारों फूल बरसाओ (सूरज), आदि।
ओ मेरी महबूबा (धर्मवीर), तुम ने किसी की जान को जाते हुए देखा है (राजकुमार), एहशान मेरे दिल पे तुम्हारा है दोस्तो (गबन), आप के पहलू पे आकर रो दिए (मेरा साया), एक बंजारा गए (जीने की राह), दिल मेरा तुम्हारी अदाएं ले गई (गौरी), तेरे नाम का दीवाना (सूरज और चंदा), ये दुनिया ये महफिल (हीर रांझा), दिल कहे रुकजा री रुकजा (मन की आंखे), पीते पीते कभी कभी ये जाम, (वैराग), आदि।
सुख के सब साथी दु:ख में न कोई (गोपी), नागन सा रूप है तेरा (बगावत), आई है बहारें लेके जुल्मों सितम (राम और श्याम), बदन पे सितारे लपेटे हुए (प्रिंस) आदि गानों को कौन भूल सकता है।
रफी साहब को जन्म जयंती पर याद कर ऑनलाइन नमन करने वालों में मेघदूत रेडियो लिस्नर्स क्लब के उपाध्यक्ष बेरमो से अजीत जयसवाल सहित निमाई सिंह चौहान, आदि।
रामाधार विश्वकर्मा, अनिल पाल, निरंजन दत्त, लुधियाना से अध्यक्ष मंजीत छाबड़ा, नैनू छाबड़ा, बीनू छाबड़ा, रांची से मोहम्मद नौशाद, धनबाद से महेंद्र गुप्ता, गुजरात से चांदनी पटेल आदि शामिल रहे।
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