जिंदगी का दूसरा नाम संघर्ष है-लक्ष्मी नारायण पात्रा
सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। संविधान निर्माता व् देश के महापुरुष डॉ भीमराव अंबेडकर को 6 दिसंबर को श्रद्धांजलि अर्पित कर याद किया गया। इस अवसर पर पश्चिमी सिंहभूम जिला (West Singhbhum District) के हद में गुवा स्थित न्यू बिरसानगर (प्रीफेब) कॉलोनी परिसर में कार्यक्रम आयोजित कर गुवा शाखा कमेटी क्रांतिकारी इस्पात मजदूर संघ (एचएमएस) के उपाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण पात्रा के नेतृत्व में जागरूकता अभियान चलाया गया।
देश के महापुरुष संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की 66वीं पुण्यतिथि पर सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर याद किया गया। श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए इस्पात मजदूर संघ उपाध्यक्ष पात्रा ने कहा कि आज का दिवस महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि डॉ अंबेडकर ने अपने शब्दों में यह स्पष्ट किया था कि जाति कभी भी मनुष्य पर प्रभावी ना बने।
प्रत्येक व्यक्ति जाति के बोझ से ऊपर है। किसी व्यक्ति का दमन ना किया जाए तथा उनके अधिकार सुरक्षित रहें। पात्रा ने कहा कि जिंदगी का दूसरा नाम संघर्ष है। बिना संघर्ष के आप कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। हमें बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन संघर्ष यात्रा से प्रेरणा लेने की जरूरत है।
संविधान के अनुसार भारत के लोगों के लिए मौलिक अधिकार की संख्या 6 है। जिसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति एवं शिक्षा संबंधित अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है।
इस अवसर पर आगामी 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस एकजुटता के साथ मनाने का भी निर्णय लिया गया। मौके पर सुभाष पात्रा, मोनू पात्रा, बुल्लू पात्रा, विश्वनाथ गगराई आदि मौजूद थे।
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