एस. पी. सक्सेना/बोकारो। तुलसी विवाह के पावन अवसर पर 4 नवंबर को बोकारो जिला के हद में जगह जगह तुलसी विवाह एवं देवउठनी एकादशी व्रत किया गया। खासकर मंदिरों एवं तुलसी-चौरे के पास तुलसी वृक्ष की विधिवत पूजा व विवाह कार्यक्रम किया गया।
जानकारी के अनुसार श्रद्धालु-भक्तों ने देवउठनी एकादशी व्रत को आस्था और निष्ठा के साथ संपन्न किया। ऐसा देखा गया कि तुलसी विवाह में पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की संलिप्तता ज्यादा रही। वे तुलसी वृक्ष के इर्द-गिर्द ईख से अच्छादित मंडप बनाकर एवं भगवान शालिग्राम की मूर्ति तुलसी वृक्ष के समीप रखकर विधिवत आरती मंगल के साथ तुलसी विवाह को संपन्न किए।
यहां पूजन कर रहे भक्तों से पुछे जाने पर कि ए व्रत करने के पीछे उनका क्या उद्देश है, श्रद्धालुओं ने कहा कि ईसी तिथि को देवी तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह हुआ था। उसी समय से यह व्रत होते आ रहा है। श्रद्धालुओं ने यह भी कहा कि यह व्रत प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है।
इस व्रत को करने से स्त्रियों का सौभाग्य सुरक्षित एवं लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। वहीं पुरुषों की आर्थिक विपन्नता मिटती है, उन्हें कीर्ति, यश और अर्थ लाभ की प्राप्ति होती है। यह साक्षात विष्णु और लक्ष्मी की पूजा है। कहा गया कि शालिग्राम भगवान विष्णु का ही एक अभिन्न रुप है।
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