धीरज शर्मा/विष्णुगढ़ (हजारीबाग)। बिष्णुगढ़ प्रखंड क्षेत्र में चार दिवसीय आस्था का महापर्व छठ अनुष्ठान कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी 28 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया।
इस अवसर पर छठ व्रती नदी, जलाशय, पोखर एवं जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर भगवान भास्कर को अर्घ देकर छठ की सफलता के लिए प्रार्थना की। फिर पूरी पवित्रता से तैयार प्रसाद स्वरूप अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आवलां की चासनी, पकौड़ी आदि ग्रहण कर अनुष्ठान की शुरूआत की।
इस पर्व को सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। छठ पूजा का पर्व आरोग्य समृद्धि और संतान के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखकर किया जाता है। छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती है और परिवार में सुख, शांति व धन-धान्य से परिपूर्ण करती है।
सूर्यदेव की प्रिय तिथि पर पूजा, अनुष्ठान करने से अभीष्ट फल प्राप्त होता है। इनकी उपासना से असाध्य रोग, कष्ट, शत्रु का नाश, सौभाग्य संतान तथा अमोघ फल की प्राप्ति होती है। वहीं 29 अक्तूबर को लोहंडा (खरना) में व्रती पूरे दिन का उपवास कर शाम में भगवान भास्कर की पूजा कर प्रसाद ग्रहण करेंगी।
छठ के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी यानी 30 अक्तूबर को सुकर्मा योग, रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग में व्रती पूरी निष्ठा व पवित्रता के साथ फल, मिष्ठान्न, ठेकुआ, नारियल, पान-सुपारी, माला, फूल, अरिपन से डाला सजाकर शाम को छठ घाट पर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देगी।
सूर्य को अर्घ देने से मानसिक शांति, उन्नति व प्रगति होती है। अंतिम दिन 31 अक्तूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आयु, आरोग्यता, यश, संपदा का आशीर्वाद लेने के बाद पूजा संपन्न होगी।
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