अपनी छोड़ बाहरी पर्व मनाने से विलुप्त हो रही है हमारी त्योहारें-जयराम महतो
धीरज शर्मा/ विष्णुगढ़ (हजारीबाग)। विष्णुगढ़ प्रखंड के हद में बनासो पंचायत के नावाटांड में बीते 26 अक्टूबर को झारखंड के विरासत ऐतिहासिक सांस्कृतिक सोहराय पर्व के उपलक्ष में झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के द्वारा मेले का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के नेता टाइगर जयराम महतो मुख्य रूप से शाम हुए।
इस अवसर पर यहां झारखंड की पहचान पुरातन परंपरा को आगे बढ़ाते हुए सोहराय और बरदखुट्टा पर्व की धूम दिखी। सोहराय और बरदखुट्टा पर्व झारखंड में फसल तैयार होने की खुशी में पूरे प्रदेश भर में मनाई जाती है।
माना जाता है कि सोहराय पर्व अर्थात गोहाल पर्व गाय, बैल एवं किसान से जुड़ा पर्व है। किसान फसल बुआई के समय हल चलाते समय बैल को मारते पीटते हैं। इस पर्व के माध्यम से कार्तिक में जब फसल की बाली झुक जाती है, तो किसानों का मन खुश हो जाता है।
फसल होने की खुशी में किसान कार्तिक मास की अमावस्या के दिन घर की लिपाई कर गाय, बैल को नहलाकर तेल सिंदूर लगाकर क्षमा याचना करते है।
सोहराय मेले में संबोधित करते हुए आंदोलनकारी टाइगर जयराम महतो ने कहा कि सोहराय, सरहुल, कर्मा हमारी सभ्यता एवं संस्कृति की पहचान है। इसे धूमिल होने से बचाना होगा। जिला परिषद सदस्य सरजू पटेल ने प्रदेशवासियों को सोहराय एवं बरदखुट्टा पर्व पर कहा कि हम लोग का जो सांस्कृतिक त्यौहार है प्राकृतिक से जुड़ा हुआ है।
कुछ ऐसे त्यौहार है जो दस घर हो रही है और कुछ घर सुना है। वह झारखंडी त्यौहार नहीं है। झारखंडी त्यौहार वही है जो हर घर में मनाया जाता है।
मौके पर उपरोक्त के अलावा जिला परिषद सदस्य शेख तैयब, बनासो पंचायत मुखिया चंद्रशेखर पटेल, पंचायत समिति सदस्य राधा रानी, जोबर मुखिया चेतलाल महतो, सुरेश राम, राजू महतो, राजू यादव, विनोद महतो सहित हजारों की संख्या में ग्रामीण रहिवासी उपस्थित थे।
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