एस. पी. सक्सेना/बोकारो। वर्ष 2008 से हीं बेरमो को जिला बनाने को लेकर आंदोलन चलाया जा रहा है। बावजूद इसके अबतक इसे जिला घोषित नहीं किया जाना काफी दु:खदायी है। उक्त बातें बेरमो जिला बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक संतोष नायक ने दो अक्टूबर को गाँधी एवं शास्त्री जयंती के अवसर पर एक भेंट में कही।
उन्होंने कहा कि बेरमो को अब तक जिला नहीं बनने का मुख्य कारण यहां के जनप्रतिनिधियों में इच्छा शक्ति की कमी रहा है। नायक ने कहा कि झारखंड बनने के साथ हीं बेरमो को जिला बनाने को लेकर तब सुगबुगाहट शुरु हो गया था।
इस दौरान वर्ष 2008 में पहली बार तेनुघाट व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता (अब दिवंगत) कुमार अनंत मोहन सिन्हा उर्फ अंतु बाबू, समाजसेवी व् वर्तमान में भाजपा नेता देवनारायण प्रजापति के नेतृत्व में बैठक कर बेरमो को जिला बनाने को लेकर बोकारो जिला के हद में तेनुघाट व्यवहार न्यायालय परिसर में बैठक किया गया था। जिसे तब के कई राजनीतिक दलों के प्रखर नेताओं ने भी अपना नैतिक समर्थन देने की बात कही थी।
उन्होंने बताया कि कालांतर में राजनीतिक दलों के नेताओं की शिथिलता के बावजूद बीच-बीच में कई बार बेरमो को जिला बनाने की मांग उठती रही, लेकिन कई ऐसे भी लोग थे जिन्होंने इसकी आड़ में केवल अपना हित पुरा करने की मंशा पाले रहा। जब उनकी यह मंशा पुरा नहीं हुआ तो वैसे लोग अलग होते चले गये। जिसके कारण आंदोलन कुछ समय के लिए अवरुद्ध रहा।
नायक ने बताया कि 13 मार्च 2022 से उनके नेतृत्व में बेरमो को जिला बनाने का आंदोलन अब जन जन का आंदोलन बन चुका है। निश्चित हीं वे बेरमो को जिला बनने तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे। यह उनका संकल्प भी है। मौके पर नायक के अलावा समाजसेवी कुलदीप प्रजापति उपस्थित थे।
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