प्रहरी संवाददाता/मुंबई। विद्याविहार के केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय क. जे. सोमैया परिसर के चाणक्य सभागार में हिन्दी पखवाडा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि अनिल तिवारी ने कहा कि हिन्दी भाषा को वैश्विक स्तर पर विकसित करने के पहले राष्ट्रीय स्तर (National Level) पर मानसिक सोच को बदलना होगा, आदि।
जब तक अंग्रेजी भाषा को हिन्दी भाषा से ज्यादा महत्व दिया जायेगा तब तक हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए भारतीय परिस्थितियां जिम्मेदार हैं, जो हिन्दी को अब तक सम्मान की भाषा नहीं बनाया जा सका।
सारस्वत अतिथि के रूप में समाजसेवी शिक्षाविद चंद्रवीर बंशीधर यादव ने कहा कि संस्कृत के विचार में ही हिन्दी का विचार समाहित है। इसीलिए दोनों भाषाओं का विकास जरूरी है। समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्याकरण विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बोध कुमार झा ने कहा जैसे हिन्दी संस्कृत का ऋणी है वैसे ही संस्कृत भी हिन्दी का ऋणी है।
संस्कृतशास्त्रों का हिन्दी में रूपान्तरण इसीलिए किया गया कि संस्कृत भाषा के महत्व को जन जन तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए हिन्दी भाषा ही राष्ट्रीय स्तर पर उपयुक्त है। हिन्दी पखवाड़ा में सुन्दरकाण्ड पाठ पारायण, काव्य पाठ तथा आशुभाषण प्रतियोगिता (Poetry recitation and slang Competition) का आयोजन भी किया गया था ।
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