एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड के मुख्यमंत्री (सीएम) हेमंत सोरेन ने राज्य में सूखे की स्थिति और उससे निपटने को लेकर आपदा प्रबंधन प्राधिकार की उच्च स्तरीय बैठक की। सीएम ने राज्य में वर्षापात और फसलों की बुआई की पूरी जानकारी ली।
बैठक में मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि सूखे से किसानों, पशु पालकों, श्रमिकों, मजदूरों और ग्रामीणों को राहत देने के लिए सरकार ने तैयारियां तेज कर दी है। सीएम ने हर गांव में कम से कम पांच- पांच नई योजनाएं शुरू करने का निर्देश दिया, ताकि रोजगार सृजन के साथ पलायन को रोका जा सके।
सीएम सोरेन ने कहा कि सुखाड़ जैसे हालात में खाद्यान्न, पेयजल और पशु चारा की कमी नहीं हो, इसे ध्यान में रखते हुए योजनाओं को बनाएं और उसका बेहतर क्रियान्वयन के साथ मॉनिटरिंग भी हो।
मौके पर विभिन्न विभागों ने सूखे जैसी हालात से निपटने के लिए बनाई जा रही अपनी कार्य योजना से सीएम सोरेन को अवगत कराया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विभागों से कहा कि वे समन्वय बनाकर योजनाएं बनाएं, ताकि योजना बहुउपयोगी साबित हो। उन्होंने विभागों को सुखाड़ जैसे हालात से निपटने के लिए दो हज़ार से लेकर ढाई हजार करोड़ रुपए तक की योजना बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने सभी योजनाओं की जियो टैगिंग करने का भी निर्देश दिया।
सीएम ने कहा कि सूखे की स्थिति को देखते हुए पूरे राज्य में एक लाख नए कुआं और एक लाख तालाब बनाए जाएंगे। इसके साथ हीं युद्ध स्तर पर चापाकल और चेक डैम की मरम्मत की जाएगी।
उन्होंने सुखाड़ के मद्देनजर मनरेगा के तहत कच्चे कार्यों पर लगी रोक को हटाने का निर्देश दिया, ताकि ग्रामीण इलाकों में कच्ची सड़कों, तालाब, खेतों में मेढ़, जल कुंड और जल स्रोतों का गहरीकरण इत्यादि का काम शुरू किया जा सके। इससे ग्रामीण इलाकों में रहिवासियों को रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे। सीएम ने मनरेगा के तहत ज्यादा से ज्यादा मानव कार्य दिवस सृजित करने का भी निर्देश दिया।
सीएम ने अधिकारियों को कहा कि सुखाड़ जैसे हालात में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लाभुकों को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने लाभुकों के बीच हर माह की 5 तारीख तक पेंशन वितरण को सुनिश्चित करने को कहा।
इस मौके पर अधिकारियों ने सीएम को बताया कि राज्य में अभी 31 लाख पेंशन भोगी है। 8 लाख नए आवेदन पेंशन स्वीकृति के लिए मिले हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सूखे जैसी स्थिति में खाद्य सुरक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य के जरूरतमंद रहिवासियों को अनाज की किल्लत नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने अधिकारियों से कहा कि 5 लाख नए राशन कार्ड जल्द से जल्द स्वीकृत किया जाए। पीडीएस दुकानों से राशन का वितरण हर महीने सुनिश्चित हो। लोगों को राशन आसानी से उपलब्ध हो, इसका भी पूरा ध्यान रखा जाए।
बैठक में मुख्यमंत्री ने कई निर्देश दिया जिनमें गौ पालकों के लिए योजना बनाने जिसमें समूह बनाने वालों को गाय, भैंस उपलब्ध कराने और दूध की खपत की व्यवस्था सुनिश्चित करने, ताकि उनकी आय में वृद्धि के साथ दुग्ध उत्पादों की क्वालिटी बनी रहे।
ग्रामीण कृषि उत्पादों को बढ़ावा देंने। उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराया जाए, ताकि उत्पादकों को उसका उचित मूल्य मिलने के साथ उनके उत्पादों को बढ़ावा भी मिल सके। सूखे के कारण अगर पेयजल संकट पैदा होता है तो टैंकर अथवा अन्य माध्यमों से पेयजल आपूर्ति को सामान्य बनाए रखने के लिए व्यवस्था अभी से सुनिश्चित रखें। विद्यार्थियों के बीच समय पर छात्रवृत्ति वितरित किया जाए।
सभी सरकारी और रैयती तालाबों का गहरीकरण कार्य शुरू किया जाए। मनरेगा के तहत मानव सृजन दिवस की गति को तेज किया जाए, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार मिल सके। लघु सिंचाई परियोजनाओं के जीर्णोद्धार का कार्य शुरू करें, ताकि इसकी वाटर स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाने के साथ मछली पालन को बढ़ावा मिल सके। झारखंड में पर्यटन स्थलों पर रोजगार की संभावनाओं को तलाशें। इसके लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए शामिल है।
झारखंड में कुछ ऐसी है सूखे की स्थिति
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अधिकारियों ने बताया कि 9 सितम्बर तक राज्य में जो बारिश की स्थिति है, उसके मुताबिक 7 जिलों में सामान्य, 15 जिलों में सामान्य से कम और 2 जिलों में बहुत ही कम बारिश हुई है। कम बारिश का नतीजा है कि धान समेत अन्य फसलों की बुआई लक्ष्य की तुलना में काफी कम हुई है।
उच्च स्तरीय बैठक में स्वास्थ्य एवं आपदा प्रबंधन मंत्री बन्ना गुप्ता और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, वित्त विभाग के प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, खाद्य आपूर्ति विभाग की प्रधान सचिव हिमानी पांडेय, आदि।
मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव मनीष रंजन, कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के सचिव अबू बकर सिद्दीक, महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव केएन झा, आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव डॉ अमिताभ कौशल, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव प्रशांत कुमार, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव राजेश कुमार शर्मा और कृषि निदेशक निशा उरांव शामिल थे।
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