आईआईटी आईएसएम का दीक्षांत समारोह

छात्रों में जाॅब क्रिएटर बनने की क्षमता-राज्यपाल

धनबाद (झारखण्ड)। आईआईटी आईएसएम (IIT ISM), धनबाद (Dhanbad) के 41वें दीक्षांत समारोह में राज्यपाल रमेश बैस ने खा की यहां के छात्रों में जाॅब क्रिएटर (Job Creator) बनने की असीम क्षमता है। हमें विश्वास है कि इस संस्थान के विद्यार्थी आने वाले समय में राज्य के विकास व उन्नत भारत कार्यक्रम और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

इतना ही नहीं इस संस्थान के विद्यार्थी निकट के गांवाें में जाकर वहां के लाेगाें के बीच कुछ समय भी बिताएंगे। उनकी समस्याओं के समाधान में सहभागी बने और उनके जीवन स्तर में सुधार लाने का प्रयास करें। यह उस क्षेत्र काे डिजिटल इंडिया (Digital India) और स्वच्छ भारत कार्यक्रम के लक्ष्य काे प्राप्त करने में मदद कर सकता है।

झारखंड (Jharkhand) के राज्यपाल रमेश बैस ने शनिवार काे आईआईटी आईएसएम, धनबाद के 41वें दीक्षांत समाराेह में बताैर मुख्य अतिथि संबाेधित कर रहे थे। उन्हाेंने प्रेसिडेंट गाेल्ड मेडल सहित मेडल और अवार्ड पाने वाले विद्यार्थियाें काे सम्मानित भी किया।

इस समाराेह में पांच सत्राें में पीएचडी, बीटेक, एमटेक, एमबीए, एमएससी टेक आदि के 1794 विद्यार्थियाें और स्काॅलर काे डिग्री प्रदान की गई। इस माैके पर संस्थान के बाेर्ड ऑफ गवर्नर्स (Board of Governors) के चेयरमैन प्राे प्रेम व्रत, निदेशक प्राे राजीव शेखर, उप निदेशक प्राे धीरज कुमार, प्राे एके मिश्रा आदि माैजूद थे।

संस्कृत को आर्थिक गतिविधियों से जोड़ें

इधर, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विवि के राष्ट्रीय (National) सेमिनार में राज्यपाल बैस ने कहा कि संस्कृत ने कई भाषाओं को जन्म दिया है। अफसाेस है कि यह अपने उद्गम स्थल भारत में ही विलुप्त हो रही है। इसे प्रतिष्ठित करने के लिए आर्थिक गतिविधियाें से जोड़ना हाेगा।

संस्कृत में भी बातचीत हाेनी चाहिए। वहीं, 75 वर्ष बीतने के बावजूद हिंदी न ताे कामकाज की भाषा बन पाई और न राष्ट्रभाषा। जबकि भाषा ही किसी देश को बचा सकती है। यदि किसी राष्ट्र को समाप्त करना है, तो उसकी भाषा को समाप्त कर देने पर राष्ट्र खुद समाप्त हाे जाएगा।

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