एस. पी. सक्सेना/बोकारो। संस्कृत भारती एवं राष्ट्रिय संस्कृत प्रसार परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में 7 अगस्त को बोकारो शहर के चिन्मय विद्यालय सेक्टर-5 स्थित तपोवन सभागार में संस्कृत एकल गान, समूह गान, एकल भावनृत्य एवं समूह भावनृत्य का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बोकारो स्टील सिटी, चास, फुसरो, कथारा, कसमार, चन्दनक्यारी के 21 सरकारी एवं निजी विद्यालयों के 355 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्याभ्यागत चिन्मय मिशन की स्वामिनी संयुक्तानन्द सेवा भारती के अध्यक्ष कमलकान्त जैन, मंत्री राम वचन सिंह, चिन्मय विद्यालय के कोषाध्यक्ष राजेन्द्र नारायण मल्लिक, प्रभारी प्राचार्य गौतम कुमार नाद द्वारा संयुक्त रूप से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्वामी चिन्मयानन्द महाराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पार्चन कर किया गया।
उद्घघाटन के उपरांत रामवचन सिंह मंत्री द्वारा आये अम्भागतों का परिचय कराते हुए पुष्प प्रदान किया गया।
इस अवसर पर संस्कृत भारती एवं राष्ट्रिय संस्कृत प्रसार परिषद् द्वारा संस्कृत भाषा जन-जन की भाषा हो इस हेतु किये जा रहे कार्यों का वृत्त प्रस्तुत किया गया।
मुख्याभ्यागत माँ स्वामिनी ने अपने सम्बोधन में कहा कि संस्कृत भाषाओं की जननी है। संस्कृत के ज्ञान के बिना कोई भी भारतीय पूर्ण नहीं हो सकता। संस्कृत संस्कार की भाषा है, अतः बच्चों को आरंभ से संस्कृत भाषा का बोध अत्यावश्यक है। उन्होंने कहा कि संस्कृत अपने आप में समृद्ध भाषा है। हमारे सभी धर्मग्रन्थ संस्कृत में ही है। इसके प्रचार-प्रसार से ही सबका कल्याण होगा।
यहां उपस्थित सभी विद्यालयों के छात्र – छात्राओं ने हर्षोंल्लास एवं तन्मयता से मंचीय कार्यक्रम में अपने अपने प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उनके एकल गान, समूह गान, एकल भावनृत्य एवं समूह भावनृत्य के प्रदर्शन से सभी अभिभावक, शिक्षक, निर्णायक, अभ्यागत व समिति के कार्यकर्त्ता मंत्र मुग्ध हो गए।
चिन्मय विद्यालय के परिसर का वातावरण संगीतमय व रोमांचित हो गया। अध्यक्षीय भाषण में कमलकांत जैन ने सभी का आभिनन्दन एवं स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ रामनारायण सिंह ने किया।
निर्णायक मंडल में नगर के जाने माने एवं प्रसिद्ध संगीतज्ञ जगदीश बावला, चन्द्रिमा रे, अमित कुमार दास, शुभलक्ष्मी श्रीवास्तव, रंजु सिंह एवं डॉ सुनीता देवी थे। पंजीयन का कार्य डॉ आत्मानन्द सिंह, मोनिका, मंच संचालन डॉ रणजीत कुमार झा, गोपाल कृष्ण दूबे एवं सहयोगी में उदित पांडेय, डॉ विनय कुमार, डॉ शशिकांत पांडेय, डॉ विनय कुमार पांडेय, डॉ श्रीहरि पांडेय, दुर्गेश नन्दिनी, माला झा, आदि।
सुप्रिया आर्यवंशी, कुमारी किरण, वृजेश त्रिपाठी, रंजन पांडेय, डॉ राम नारायण सिंह, बाल शेखर झा, सोनिका, विरेन्द्र सिंह एवं अन्य कार्यकर्त्ता बन्धु – भगिनी थे। कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
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