मुश्ताक खान/ मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी महानगर मुंबई का दिल कहलाने वाले चेंबूर को इन दिनों दुल्हन की तरह सजाया गया है। इसकी खास वजह चेंबूर फेस्टिवल (Chembur Festival) है। पिछले सात वर्षों से चल रहे चेंबूर फेस्टिवल की चर्चा हर तरफ हो रही है। इतना ही नहीं इसे देखने के लिए चेंबूर सहित लगभग पूरी मुंबई उमड़ पड़ी है। लगातार पांच दिनों तक चलने वाले इस फेस्टिवल को चेंबूरकर महोत्सव के रूप में मनाने लगे हैं।
गौरतलब है कि चेंबूर के लोकप्रिय शिवसेना विधायक प्रकाश फातर्पेकर (MLA Prakash Phaterpekar) द्वारा इस फेस्टिवल की शुरूआत वर्ष 2011 में की गई, जो अब भव्य रूप ले चुका है। इस फेस्टिवल में स्थानीय स्कूल व विभिन्न संस्थाओं द्वारा अलग-अलग झांकियां भी निकाली जाती है। बताया जाता है चेंबूर के अनोखे फेस्टिवल को देखने के लिए दूर-दूर से लोगों का जमघट लगा हुआ है। चेंबूर महोत्सव में नमक से लेकर फ्लैट्स की बुकिंग के लिए दिलकश स्टॉल लगाए गए हैं।
इतना ही नहीं चेंबूर के डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर उद्यान से लेकर चेंबूर गार्डन (Chembur Garden) परिसर को विशेष रूप से सजाया गया है। जो बरबस ही लोगों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। इस बार की सजावट में सफल ग्रुप के चेयरमैन संजय असरानी व वरूण असरानी का भी योगदान है। चेंबूर फेस्टिवल में मुंबईकरों के अलावा नेता और अभिनेताओं का भी तांता लगा हुआ है। इस फेस्टिवल के तीसरे दिन एक तरफ डॉग शो तो दूसरी तरफ बुजुर्ग महिलाओं का रोड डांस शो सुर्खियों में रहा।
हालांकि सिख समुदाय का भांगड़ा डांस भी हम किसी से कम नहीं की तर्ज पर देखा गया। वहीं विभिन्न स्कूलों के छात्रों ने फ्लैग मार्च कर यहां की शोभा में चार चांद लगा दिए। इस महोत्सव में करतब दिखाने वालों की भी कमी नहीं थी। कहीं बुजुर्गों की टोली अपने आप में मस्त दिखी तो कहीं नन्हें मुन्ने छात्रों का प्रदर्शन सराहनीय रहा। फेस्टिवल में कई दिलकश नजारे देखने को मिले, जो भविष्य में यादगार के तौर पर लोग अपने दिलों में सजाए रहेंगे।
चेंबूर फेस्टिवल बनाम चेंबूर महोत्सव के मुद्दे पर शिवसेना के लोकप्रिय विधायक प्रकाश फातर्पेकर ने बताया की करीब सात वर्ष पहले हमने इसकी शुरूआत चेंबूर हाई स्कूल में की थी, जो अब भव्य रूप धारण कर चुका है। उन्होंने बताया की पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक इस फेस्टिवल में प्रतिदिन एक लाख से अधिक लोग घूमने के लिए आते हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा की फेस्टिवल का अधिकांश खर्च यहां के स्टॉल से निकलता है।
इसके अलावा स्थानीय व्यवसायियों की मदद से इसे पूरा किया जाता है। वहीं स्थानीय शिवसेना के सांसद राहूल शेवाले ने बताया की इस तरह के आयोजनों से स्कूली छात्रों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलता है। वहीं दूसरी तरफ लोगों का मनोरंजन भी होता है। लिहाज इस तरह का आयोजन मुंबई के सभी विधानसभाओं में होना चाहिए।
वहीं मीरा रोड से चेंबूर फेस्टिवल देखने आए विपिन अग्रवाल ने बताया की यहां तो दिल्ली के गणतंत्र दिवस व स्वाधीनता दिवस की तर्ज पर अलग-अलग झांकियां देखने को मिल रही है। इस महोत्सव में हर उम्र के लोग जिंदादिली का सबूत पेश कर रहे हैं। एक सवाल के जवाब में अग्रवाल ने कहा की पहले मैंने सुना था लेकिन अब यह देखने को मिल रहा है।
865 total views, 1 views today