आज के दिन ही 1947 को वजूद में आया था तिरंगा

तिरंगा मेरी जान और मेरा ईमान है- पिंटू दुरानी

मुश्ताक खान/मुंबई। देशभक्तों के लिए 22 जुलाई, यानि आज का दिन बेहद खास है, यह कई मायनों में बहुत ही महत्वपूर्ण और इसे ऐतिहासिक दिन भी कहते हैं।

क्योंकि 22 जुलाई 1947 को पहली बार भारत (India) के संविधान सभा की बैठक हुई थी, और इसी दिन राष्ट्रीय (National) ध्वज तिरंगा को अपनाया गया था, इसके बाद ही 15 अगस्त और 26 जनवरी को देशवासी राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं और तिरंगा फहराते हैं।

यानि इसी दिन तिरंगा का जन्म हुआ था। यही तिरंगा हमारे देश और हम सब की पहचान बना, तिरंगे के तीन रंग और फिर एक रंग जो हम सबके लिए जिंदगी को कैसे जिया जाए, क्या देश के लिए हमारा फर्ज बनता है, सब कुछ तिरंगे ने सिखाया है।

“देश की आन -बान और शान है मेरा राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा ), राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगे पर राष्ट्र के कवी और शयरों ने अनेकों पंथिया लिखीं हैं, इसी तिरंगे पर देश के फिल्मकारों ने फिल्में भी बनाई है। तिरंगे पर याद आया, केसरिया पल भरने वाली, सदा है सच्चाई, हरा रंग है हरी हमारी धरती की अंगड़ाई”।

इस कड़ी में एक दिलचप्स मोड़ आया, 02 अक्टूबर 2014 यानि गांधी जयंती के अवसर पर झारखण्ड की राजधानी रांची से तिरंगा यात्रा की शुरुआत रांची एक्सप्रेस के मालिक सुधांशु सुमन ने किया था। इस यात्रा में लोग मिलते जा रहे हैं और कारवां बढ़ता ही जा रहा है।

तिरंगा यात्रा के शुरूआती दौर में फिल्मकार पिंटू दुरानी भी जुड़ गए। झारखंड (Jharkhand) से निकला तिरंगा यात्रा ओडिसा, छत्तिशगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे राज्यों से होते हुए पुरे देश का भ्रमन करने वाला है।

तिरंगा यात्रा में शामिल सदस्य भारत के कोने-कोने में जाते और लोगों को तिरंगा देते हुए उन्हें तिरंगे की अहमियत, खूबियों व उसके महत्व को समझते है। तिरंगा यात्रा की टीम में अब तक इन राज्यों से लाखों सदस्य बने हैं।

तिरंगा यात्रा के काफिले में पिंटू दुरानी बताते हैं, तिरंगा स्वतंत्रता को दर्शाता है और गौरव का प्रतीक के साथ-साथ अखंडता को प्रदर्शित करता है। लोगों में देशभक्ति के लिए प्रेरित भी करता है, और संस्कृति सामाजिक राजनीतिक को प्रेरित करता है।

राष्ट्रीय ध्वज एकता के अलावा समानता को का मिसाल है, इसमें हमारे देश का इतिहास झलकता है। राष्ट्रीय ध्वज देश के शान के लिए फहराते हैं, तिरंगा हमें देश के लिए बलिदान देने वालों को याद दिलाता है और बलिदान देने की शक्ति प्रदान भी करती है!

तिरंगा के सबसे शीर्ष पर केसरिया रंग की पट्टी है जो देश की ताकत और हौसला साहस का प्रतीक है और बीच वाले पट्टी जो सफेद है जो सभी धर्मों को समान और शांति से जीने की प्रेरणा देती है, तिरंगे के नीचे जो हरे रंग है वो हरियाली किसान विकास एवं समृद्धि का प्रतीक है।

इसी तिरंगे में अशोक चक्र को सफेद रंग पट्टी के बीच में ब्लू रंग है जो की ताकत का प्रतीक माना जाता है, अशोक चक्र में 24 तीलियां हैं। इन 24 तिल्लीयों के खास मायने हैं।

जैसे- आशा, स्नेह, साहस, धीरज, शांतिपूर्णता, दयालुता, भलाई, भक्ति, सत्यता, आत्मसंयम, निस्वार्थता, आत्मापरित्याग, सत्यवादिता, धार्मिकता, न्याय, करुणा, कृपालुता, नम्रता, संवेदना, सहानुभूति, सर्वोच्चय-ज्ञान, परमबुद्धि, श्रेष्ठ-नैतिकता, परोपकारियां आदि। इसे बहुत कम लोगों जानते हैं।

सुधांशु सुमन और फिल्मकार पिंटू दुरानी का कहना है कि मुश्किलों में आप कैसे जिए हमें तिरंगा से हासिल हुए हैं! मैंने कई देशों के तिरंगा का अध्ययन किया है, मेरा दावा है हमारा तिरंगा विश्व में सर्वश्रेष्ठ है। इस लिए मेरी मौत से पहले तक तिरंगा यात्रा जारी रहेगा।

अब तो जहाँ भी जाता हूं तिरंगा के साथ रहता हु और तिरंगा मेरे साथ, न जाने कितने लोगों को तिरंगा दिया और उसके बारे में समझाया मुझे याद नहीं। बहुत सारे जगह मुझे सामाजिक संगठनों के कार्यक्रम में (Social Organization Programs) बुलाया जाता है, और सम्मान भी दिया जाता है। कई राज्यों में मैं तिरंगा सभी लोगों तक पहुंचा पाता हूं, क्योंकि तिरंगा हमेशा मेरे साथ रहता है, चाहे मैं सफर में रहूं या किसी भी परिस्थिति।

तिरंगा के साथ रहने की आदत

मेरी रोजी-रोटी फिल्म लाइन (Film Line) है, लेकिन तिरंगा मेरी शौक और जुनून है। मेरी यही कोशिश हर वक्त रहता है की भारत का हर नागरिक तिरंगा के बारे में जानें। पहले मैं खुद तिरंगा के बारे में पढ़ा और अब मैं सभी को तिरंगा के बारे में समझाता हूं, तिरंगा का सभी रंग एक सीख देता है। पिंटू दुरानी कहते हैं कि तिरंगा मेरी जान है इसलिए मेरे साथ है।

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