न्यायालय को शॉपिंग मॉल ना बनाया जाय-रंजन मिश्रा
प्रहरी संवाददाता/कसमार (बोकारो)। एक तरफ महंगाई से राज्य (State) की जनता परेशान है। वही दूसरी तरफ महंगाई के इस दौर में अब आम आदमी को सिविल कोर्ट में न्याय के लिए लड़ना भी महंगा हो गया है। देखा जाए तो कमर तोड़ महंगाई में कोर्ट फीस महंगा होने के कारण अब आम आदमी को न्याय पाने के लिए लड़ना एक सपने जैसा हो जाएगा।
अदालत में अर्जी, अपील दाखिल करने से लेकर नकल निकालना बहुत महंगा हो गया है। अब न्यायालय में कोई भी अर्जी करना महंगा हो गया है। न्यायालय में किसी भी अर्जी के लिए अब 5 रुपया के जगह 10 रुपए, वकालतनामा पर 5 के जगह 30 रुपए, शपथ पत्र पर 5 की जगह 20 रुपए, क्रिमिनल रिवीजन में 5 रुपए के जगह 240, नकल निकालने में 10 रुपए प्रत्येक पेज ज़ेरॉक्स का देना होगा।
इसी तरह शपथ पत्र, वकालतनामा, अपील, आवेदन, अर्जी, बंध पत्र एवं अन्य प्रकार के आवेदन पर पहले से लगभग छह गुना अधिक कोर्ट फीस लगेगा। अपील एवं अदालत में रिप्रेजेंटेशन पर लगभग चार गुना ज्यादा कोर्ट फी के रूप में देना होगा।
इस वृद्धि को देखते हुए बोकारो जिला बार एसोसिएशन (Bokaro District Bar Association) के अधिवक्ता रंजन मिश्रा ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि इस वृद्धि से गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को न्याय के लिए लड़ना बस सपना बन कर रह जाएगा। मिश्रा ने कहा कि कोर्ट न्याय का मंदिर है। इसको शॉपिंग मॉल ना बनाया जाए कि, गरीब और मध्यम वर्ग डर कर न्याय के लिए कोर्ट ही ना आ सके।
ये वृद्धि समाज में फैले संदेश की, न्याय और कोर्ट गरीबो के लिए नही है, उसको सच करती नजर आ रही है। इस वृद्धि के कारण युवा अधिवक्ताओं के आय में भी कमी आएगी। उन्होंने कहा कि सरकार ना तो जनता के बारे में सोच रही है ना ही अधिवक्ताओं के बारे में। बस राज्य का खजाना भरने के बारे में सोच रही है।
अधिवक्ता रंजन मिश्रा ने कोर्ट फीस में वृद्धि पर पुनः विचार करने और इसको पहले जैसा या थोड़ा कम करने के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister of Jharkhand Hemant Soren) को ट्वीटर के माध्यम से ट्वीट कर निवेदन किया है। साथ में इस वृद्धि को कम करने लिए भविष्य में जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल को पत्र भेज कर आम जनता की समस्याओं से अवगत कराने की बात कही।
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