गंगोत्री प्रसाद सिंह/हाजीपुर (वैशाली)। बिहार की राजधानी पटना और हाजीपुर के बीच गंगा नदी पर बना सड़क पूल जिसे महात्मा गांधी सेतु के नाम से जाना जाता है।
जो दक्षिण बिहार सहित झारखंड, बंगाल को उत्तर बिहार और नेपाल को जोड़ती है। इसके नए रूप का लोकार्पण 7 जून को भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी औऱ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया।
ज्ञात हो कि, उत्तर बिहार के लिये जीवन रेखा कहे जानेवाली इस सेतु का निर्माण वर्ष 1980 में गैमन इंडिया ने किया था। जिसका उद्घाटन 5 मई 1982 को देश की तात्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। उस वक्त इस पुल ने एशिया का सबसे लंबा पुल होने का गौरव हासिल किया था।
तब इस पुल के निर्माण कार्य में संबंधित अभियंता और नेताओं ने इस कदर लूट मचाई की पुल निर्माण के 16 वे वर्ष में दरार आ गई। जिससे एक बस और ट्रक रेलिंग तोड़ते हुये गंगा की गोद मे चले गए। सन 1999 से 2013 तक इस पुल के मरम्मत पर 300 करोड़ रुपया खर्च किया गया।
कयास लगाया जा रहा है कि इसमें भी यहां के कई नेताओं और अभियंता की चांदी रही। जनता जाम का दंश झेलती रही। इस दौरान सेतु के पश्चिमी लेन के 44 नंबर पाया का स्ट्रक्चर नदी की ओर झुक गया। बिहार के मुख्यमंत्री की मांग पर प्रधान मंत्री ने इस पूल के समानांतर 6 लेन पूल की मंजूरी दी।
लेकिन वर्ष 2015 में केंद्रीय मंत्री गडकरी ने सेतु के स्ट्रक्चर की विशेषज्ञ अभियंता से जांच करवाई और सेतु के सभी स्पेन को काफी मजबूत पाते हुए सेतू के कंक्रीट स्ट्रक्चर के स्थान पर स्टील फ्रेम स्ट्रक्चर निर्माण का निर्णय लिया गया।
लगभग 1742 करोड़ की लागत से इस सेतु के पश्चिमी लेन को 2020 में चालू किया गया और 7 जून को इसके पूर्वी लेन भी जनता के लिये चालू हो गया।
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने महात्मा गांधी सेतु के नए स्टील फ्रेम स्ट्रक्चर पुल के उद्घाटन के साथ ही बिहार को 13586 करोड़ रुपये की लागत से बननेवाली 15 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया, जो बिहार के विकास में मिल का पत्थर साबित होगा।
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