खदान के जीरो प्वाइंट में प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए मॉकड्रिल

मॉक ड्रिल कर कामगारों को प्राकृतिक आपदा से निपटने की जानकारी दी गई

प्रहरी संवाददाता/जमशेदपुर (झारखंड)। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने 31 मई को पश्चिमी सिंहभूम जिला (West Singhbhum District) के हद में गुवा खदान के जीरो प्वाइंट एरिया में प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए मॉकड्रिल (Mockdrill) कर लोगों को जागरूक किया।

मॉक ड्रिल 9वीं बटालियन (बिहटा, पटना) के सहायक समादेष्टा विनय कुमार सिंह के अगुआई में और गुवा खदान के महाप्रबंधक (Genral Manager of Guava Mine), सीआईएसएफ के सहायक समादेष्टा के सहयोग से किया गया।

इस अवसर पर यहां एनडीआरएफ (NDRF) की 20 सदस्यीय दल द्वारा प्राकृतिक आपदा के दौरान लोगों की जान-माल की तत्काल रक्षा व सहायता कैसे उपलब्ध कराई जाए, इसकी जानकारी मॉकड्रिल कर दिया गया।

मॉकड्रिल के दौरान प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कैसे बचाव करें, घटनास्थल पर इनसिडेंट कमांड पोस्ट, मेडिकल कैंप, कम्युनिकेशन सेंटर सह आपातकालीन संचार संसाधन केन्द्र, स्टेगिंग एरिया आदि का निर्माण कर कैसे मदद कार्य चलाना है।

उसकी विशेष जानकारी फ्रंट लाइन एजेंसी यानी सीआईएसएफ, पुलिस, सेल अस्पताल टीम, खदान के सुरक्षा व आपातकालीन विभाग समेत सेल की गुवा खदान के सैकड़ों सेलकर्मियों को दी गई। इस मॉक ड्रिल को देखकर यहां कार्यरत सैकड़ों कामगारों को जानकारी मिली की वह ऐसी परिस्थिति में मौत के दहलीज पर पहुंचे लोगों को जरूरी प्राथमिक उपचार देकर उनकी जिंदगी बचा सकते हैं।

मॉक ड्रिल के दौरान विशेष जानकारी यह दी गयी की किसी भी प्राकृतिक आपदा के दौरान कोई व्यक्ति अगर मृत स्थिति में दिखाई दे, तो उसकी जान बचाने के लिए सीपीआर कैसे देना है।

उसकी विशेष जानकारी देते हुये बताया गया की दुर्घटना के शिकार व्यक्ति के दोनों फेफड़े के बीच का हिस्सा जहां समाप्त होता है उससे दो अंगुली उपर (दोनों निप्पल के बीच) में दोनों हथेली को आपस में जोड़ कर काफी तेज गति से दो मिनट के अन्दर तीस बार चेस्ट कम्प्रेशन करना है।

बताया गया कि चेस्ट कम्प्रेशन इतना दबाव के साथ करना है कि पांच से छः इंच अंदर तक दबाव बनें। इसके अलावे दो बार नाक अथवा मुंह में अपने मुंह से वेंटिलेशन देना है। चेस्ट कम्परेशन के दौरान अगर कोई रिब्स की हड्डी टूट भी जाती है तो वह बड़ा मामला नहीं होगा। बच्चे को चार सेन्टीमीटर तक चेस्ट कम्प्रेश हल्के हाथों से उतनी हीं बार करना है।

उल्लेखनीय है कि बीते 24 मार्च को टीम द्वारा किरीबुरु एवं मेघाहातुबुरु खदान में मॉक ड्रिल का आयोजन कर लोगों को प्राकृतिक आपदा से निपटने की जानकारी दी गई थी।

इस बाबत एनडीआरएफ के सहायक समादेष्टा विनय कुमार सिंह ने बताया कि प्राकृतिक आपदा आने के पहले हीं उससे बचाव हेतु हमें तमाम प्रकार की तैयारियाँ कर लेनी होती है, ताकि मैन और मैटेरियल का नुकसान कम हो सके।

इसी जागरूकता कार्यक्रम के तहत केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की टीम यहाँ आयी है। उन्होंने कहा कि खदानों में ब्लास्टिंग होती है, इससे नये-पुराने भवन में दरारें आने व बाद में गिरने से फंसे लोगों को बचाने, भू-स्खलन एवं सारंडा जंगल की आग की घटना को रोकने व उससे होने वाले नुकसान से बचाने आदि की जानकारी दी गई।

उन्होंने कहा कि ऐसा प्रशिक्षण आने वाले समय में अन्य लोगों को भी दिया जाएगा। गुवा खादान के अधिकारियों ने कहा कि इस मॉकड्रिल से यहां के सेलकर्मियों को तकनीकी जानकारी मिली है, जिसका लाभ विकट परिस्थिति में मिलेगा। इसके अलावे सीआईएसएफ  एवं एनडीआरएफ से बेहतर संबंध होने की वजह से इसका लाभ निरंतर मिलता रहेगा।

इस दौरान सीआईएसएफ के सहायक समादेष्टा सन्नी विलियम, इंस्पेक्टर एसके ठाकुर, गुवा के महाप्रबंधक सीबी कुमार, एसएन पंडा, दीपक प्रकाश, वाहिद अहमद, उप महाप्रबंधक नरेन्द्र कुमार झा, डॉ सीके मंडल, डॉ अशोक कुमार अमन, मिलन नंदी, डॉ एस सरकार, इकबाल अहमद आदि उपस्थित थे।

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